वक्फ संशोधन बिल का विरोध जारी! जमीअत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा, कहा- ‘मौलिक अधिकारों का हुआ घोर उल्लंघन’

वक्फ संशोधन बिल का विरोध जारी! जमीअत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा, कहा- 'मौलिक अधिकारों का हुआ घोर उल्लंघन' |

  •  
  • Publish Date - April 11, 2025 / 07:25 PM IST,
    Updated On - April 11, 2025 / 07:25 PM IST

Jamiat Ulama-i-Hind on Waqf Amendment Bill | Source : IBC24 File Photo

HIGHLIGHTS
  • मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरुद्ध सप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है।
  • मौलाना मदनी ने कहा कि यह कानून न केवल असंवैधानिक है बल्कि बहुसंख्यक मानसिकता की उपज है।
  • इस मामले में मौलाना मदनी की पैरवी एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड मंसूर अली खान कर रहे हैं।

नई दिल्ली। Jamiat Ulama-i-Hind on Waqf Amendment Bill: जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरुद्ध सप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। ज्ञात हो कि यह कानून 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी है। याचिका में जमीअत द्वारा पक्ष रखते हुए कहा गया है कि इस कानून में एक नहीं बल्कि भारत के संविधान के कई अनुच्छेदों, विशेष रूप से अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 और 300-ए के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन किया गया है, जो मुसलमानों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों और पहचान के लिए गंभीर खतरा है।

read more: बिना धान खरीदे हो गई फर्जी एंट्री! शासन को लगाई गई करोड़ों रुपए की चपत, ऐसे हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा 

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मौलाना मदनी

मौलाना मदनी ने कहा कि यह कानून न केवल असंवैधानिक है बल्कि बहुसंख्यक मानसिकता की उपज है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सदियों पुराने धार्मिक और कल्याणकारी ढांचे को नष्ट करना है। यह कानून सुधारात्मक पहल के नाम पर भेदभाव का झंडाबरदार है और देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान के लिए खतरा है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को असंवैधानिक घोषित करे और इसके क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाए।

इस मामले में मौलाना मदनी की पैरवी एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड मंसूर अली खान कर रहे हैं। जमीअत उलमा-ए-हिंद के कानूनी मामलों के संरक्षक मौलाना और एडवोकेट नियाज अहमद फारूकी ने बताया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद ने प्रमुख वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं भी ली हैं।

मौलाना मदनी ने अपनी याचिका में यह पक्ष रखा है कि इस अधिनियम द्वारा देश भर में वक्फ संपत्तियों की परिभाषा, संचालन और प्रबंधन प्रणाली में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया गया है, जो इस्लामी धार्मिक परंपराओं और न्यायिक सिद्धांतों के विपरीत है। याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन दुर्भावना पर आधारित हैं जो वक्फ संस्थाओं को कमजोर करने के उद्देश्य से किए गए हैं।

read more: दुर्ग हत्याकांड पर सियासत शुरू! दीपक बैज ने की CBI जांच की मांग, दुर्ग से रायपुर तक न्याय यात्रा का ऐलान 

उन्होंने इस कानून की कई कमियों का भी इस याचिका में उल्लेख किया है, जिसमें यह प्रावधान भी शामिल है कि अब केवल वही वयक्ति वक्फ (संपत्तियों का दान) कर सकता है जो पांच साल से प्रैक्टिसिंग (व्यावहारिक रूप से) मुसलमान हो। इस शर्त का किसी भी धार्मिक कानून में कोई उदाहरण नहीं मिलता, इसके साथ ही यह शर्त लगाना कि वक्फ करने वाले को यह भी साबित करना पड़ेगा कि उसका वक्फ करना किसी षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं है, यह बेकार का कानूनी बिंदु है, और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। इसके अलावा, वक्फ बाई-यूजर की समाप्ति से उन धार्मिक स्थानों के खतरा है जो ऐतिहासिक रूप से लोगों के लगातार उपयोग से वक्फ का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं। उनकी संख्या चार लाख से अधिक है। इस कानून के लागू होने के बाद यह संपत्तियां खतरे में पड़ गई हैं और सरकारों के लिए इन पर कब्जा करना आसान हो गया है। इसी प्रकार, केंद्रीय और राज्य वक्फ कौंसिलों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार देने वाले अनुच्छेद 26 का स्पष्ट उल्लंघन है।

इसी विषय पर आगामी 13 अप्रैल 2025 (रविवार) को जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक नई दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित जमीअत के मुख्यालय में आयोजित होने जा रही है। इसमें वक्फ संशोधन अधिनियम का कानूनी और संवैधानिक दायरे में किस तरह का क़दम उठाया जाए, इस पर विचार-मंथन किया जाएगा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। कार्यकारी समिति की इस सभा के बाद दोपहर 3 बजे जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी साहब एक संवाददाता सम्मेलन के जरिए मीडियाकर्मियों को संबोधित भी करेंगे।

1. Waqf Amendment Bill 2025 क्या है?

यह वक्फ अधिनियम का संशोधित संस्करण है, जो 8 अप्रैल 2025 से लागू हुआ है। इसमें वक्फ संपत्तियों की परिभाषा, संचालन और प्रबंधन से जुड़े कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं।

2. Waqf Amendment Bill के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका किसने दायर की है?

यह याचिका जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने दायर की है। याचिका में कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

3. याचिका में किन अनुच्छेदों का हवाला दिया गया है?

अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (भेदभाव का निषेध), 21 (जीवन का अधिकार), 25 और 26 (धार्मिक स्वतंत्रता), 29 (सांस्कृतिक अधिकार) और 300-A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन बताया गया है।

4. इस मुद्दे पर आगे क्या हो रहा है?

13 अप्रैल 2025 को जमीअत की कार्यकारी समिति की महत्वपूर्ण बैठक होगी, जिसमें आगे की कानूनी रणनीति और निर्णय तय किए जाएंगे। उसी दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की जाएगी।