बंगाल: नौकरी गंवाने वाले शिक्षक की मस्तिष्काघात से मौत, विरोध प्रदर्शन शुरू

बंगाल: नौकरी गंवाने वाले शिक्षक की मस्तिष्काघात से मौत, विरोध प्रदर्शन शुरू

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  • Publish Date - August 15, 2025 / 10:18 PM IST,
    Updated On - August 15, 2025 / 10:18 PM IST

कोलकाता, 15 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की नियुक्तियों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद नौकरी गंवाने वाले 26,000 लोगों में शामिल 35 वर्षीय एक शिक्षक की शुक्रवार को मस्तिष्काघात से मौत हो गई जिसके बाद सहकर्मी प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।

मृतक सुबल सोरेन ‘‘एलिजिबल जॉब्लेस टीचर्स फोरम’’ के सदस्य थे। उनकी पत्नी संध्या सोरेन ने बताया कि वह 11 अगस्त को बीमार पड़ गए थे, जिसके बाद उन्हें पश्चिम मेदिनीपुर जिले के डेबरा अस्पताल ले जाया गया। वहां से उन्हें कोलकाता के एक निजी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह पिछले चार दिनों से इलाज करा रहे थे।

अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को सोरेन की मस्तिष्काघात से मौत हो गई।

संध्या सोरेन ने कहा, ‘‘मेरे पति नौकरी खोने के बाद से बहुत तनाव में थे… अब हमारा क्या होगा?’’ वह अपने वृद्ध माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं।

फोरम के अन्य सदस्यों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि 2016 में एसएससी की ‘‘दूषित’’ चयन प्रक्रिया के कारण उच्चतम न्यायालय का यह फैसला आया, जिससे नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों को अत्यधिक मानसिक तनाव झेलना पड़ा।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोरेन की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा, ‘‘नौकरी जाने के बाद से मृतक उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। सोरेन की मौत के लिए राज्य को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’’

तृणमूल कांग्रेस के दांतन से विधायक बिक्रमचंद्र प्रधान ने कहा कि सोरेन छात्रों में लोकप्रिय थे और पार्टी परिवार के साथ खड़ी है।

उन्होंने कहा कि योग्य शिक्षकों की बहाली के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल में पश्चिम बंगाल के सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में करीब 26,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को ‘‘दूषित और अवैध’’ प्रक्रिया के आधार पर निरस्त कर दिया था।

भाषा राखी माधव

माधव