Rajasthan Assembly Election 2023: इस राज्य में भाजपा और कांग्रेस दोनों नहीं है परिवारवाद से अछूती.. नेताओं के करीबियों को जमकर बांटे गए टिकट

दोनों दलों ने अभी राजस्थान विधानसभा की सभी 200 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है। भाजपा उम्मीदवारों की सूची में प्रमुख नेताओं के बेटे, बेटियां, पोतियां और बहुएं शामिल हैं।

Rajasthan Assembly Election 2023: इस राज्य में भाजपा और कांग्रेस दोनों नहीं है परिवारवाद से अछूती.. नेताओं के करीबियों को जमकर बांटे गए टिकट

Rajasthan Assembly Election 2023

Modified Date: October 29, 2023 / 05:27 pm IST
Published Date: October 29, 2023 4:48 pm IST

जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ने पार्टी नेताओं के करीबी परिजनों को टिकट दिए हैं। राज्य में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने कहा, ”हमारी पार्टी ने विद्रोह से बचने के लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाए हैं। आगामी विधानसभा चुनावों में विद्रोह की आशंका टालने के लिए नेताओं के परिवार के सदस्यों को टिकट दिए गए हैं।” भाजपा की 124 उम्मीदवारों की दो सूची में पार्टी ने कम से कम 11 ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया है, जो प्रमुख नेताओं के परिवार के सदस्य हैं। वहीं, कांग्रेस के 95 उम्मीदवारों में से 18 ऐसे हैं, जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है।

दोनों दलों ने अभी राजस्थान विधानसभा की सभी 200 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है। भाजपा उम्मीदवारों की सूची में प्रमुख नेताओं के बेटे, बेटियां, पोतियां और बहुएं शामिल हैं। पार्टी ने उन नेताओं के परिवार के सदस्यों पर उचित ध्यान दिया है, जिनकी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मौत हो गई। पार्टी ने दिवंगत सांसद सांवर लाल जाट के बेटे राम स्वरूप लांबा को नसीराबाद सीट से और दिवंगत पूर्व राज्य मंत्री दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह को डीग-कुम्हेर सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।

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लांबा ने 2018 में भी भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। वह इससे पहले अजमेर सीट से लोकसभा उपचुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन तब वह कांग्रेस के रघु शर्मा से 80,000 वोटों के अंतर से हार गए थे।

भाजपा का टिकट पाने वाले अन्य ऐसे प्रत्याशियों में गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला (देवली-उनियारा सीट), पूर्व सांसद एवं जयपुर के पूर्व शाही परिवार की सदस्य गायत्री देवी की पोती दीया कुमारी (विद्यासागर नगर), पूर्व सांसद करणी सिंह की पोती एवं बीकानेर राजपरिवार की सदस्य सिद्धि कुमारी (बीकानेर पूर्व), पूर्व विधायक हरलाल सिंह खर्रा के बेटे झाबर सिंह खर्रा (श्रीमाधोपुर), पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी के बेटे मंजीत चौधरी (मुंडावर), पूर्व सांसद नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा (नागौर), पूर्व विधायक गौतम लाल मीणा के बेटे कन्हैया (धरियावद), पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी (राजसमंद) और पूर्व विधायक श्रीराम भींचर की बहू सुमिता (मकराना) शामिल हैं।

पार्टी नेताओं का कहना है कि बगावत से बचने के साथ-साथ 2008 के विधानसभा चुनाव जैसे नतीजे टालने के लिए यह कदम उठाया गया है। दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 15 से ज्यादा सीटों के नुकसान के कारण सत्ता गंवानी पड़ी थी। पार्टी 78 सीटें हासिल कर सकी थी, जबकि कांग्रेस भी सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत हासिल नहीं पाई थी और उसके खाते में 96 सीटें गई थीं।

अगर तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ बगावत के कारण भाजपा को झटका नहीं लगा होता, तो पार्टी निर्दलीय उम्मीदवारों को साथ लेकर सरकार बना सकती थी। 2018 के चुनाव में बसपा ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 14 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों और अन्य को विजय हासिल हुई थी।

दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी बड़ी संख्या में राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। इनमें से ज्यादातर वे हैं, जो 2018 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।

कांग्रेस की 95 उम्मीदवारों की तीन सूची में 18 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि है। इनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी की पत्नी सुशीला डूडी (नोखा सीट), पूर्व विधायक भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा (सरदारशहर), पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के बेटे बृजेंद्र ओला (झुंझुनूं), विधायक सफिया खान के पति जुबेर (रामगढ़) शामिल हैं। पार्टी बिरदीचंद जैन के रिश्तेदार मेवाराम जैन (बाड़मेर) और पूर्व मंत्री भंवर लाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल (सुजानगढ़) पर भी दांव खेल रही है।

कांग्रेस ने राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले जिन अन्य उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उनमें पूर्व विधायक रामनारायण चौधरी की बेटी रीटा चौधरी (मंडावा), पूर्व राज्यसभा सांसद अबरार अहमद के बेटे दानिश अबरार (सवाई माधोपुर), पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट (टोंक), पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा के बेटे विजयपाल (डेगाना), पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या मदेरणा (ओसियां), पूर्व मंत्री मलखान बिश्नोई के बेटे महेंद्र (लूनी) और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह शक्तावत की बहू प्रीति (वल्लभनगर) शामिल हैं।

हैरानी की बात यह है कि सितंबर के पहले सप्ताह में कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पार्टी में वंशवाद की राजनीति पर चिंता जताई थी।

उन्होंने युवा कांग्रेस की एक बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा था, “अगर कांग्रेस में बड़े नेता अपने परिवार को पीछे नहीं रखेंगे, तो पार्टी कैसे आगे बढ़ेगी। मेरा 22 साल का बेटा है, लेकिन मैंने उसे कभी कोई पद नहीं दिया। मेरे पिता दो बार पार्टी प्रमुख और मंत्री रहे, लेकिन उन्होंने हमें कभी कोई पद नहीं दिया। 1997 में मुझे टिकट दिया गया और वह पीछे हट गए।”

रंधावा ने कहा था कि वह राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनने पर वंशवाद की राजनीति को कम करने का प्रयास करेंगे।

 

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A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown