जयपुर, नौ नवंबर (भाषा) राजस्थान के बारां जिले में अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान रविवार शाम को थम जाएगा। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है।
इस सीट पर उपचुनाव को शुरू में सामान्य चुनाव के रूप में ही देखा जा रहा था लेकिन अब यह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा का सवाल बनता दिख रहा है।
अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान 11 नवंबर को होगा जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी।
भाजपा ने अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन चुनाव मैदान में हैं।
यह सीट भारतीय जनता पार्टी के विधायक कंवरलाल मीणा को अयोग्य घोषित किए जाने के कारण खाली हुई थी।
भाजपा के उम्मीदवार मोरपाल को राजे की पसंद बताया गया है। कांग्रेस ने दो बार के विधायक, पूर्व मंत्री और गहलोत के करीबी प्रमोद जैन भाया को टिकट दिया है। वहीं पहले भाजपा का टिकट मांग रहे नरेश मीणा ने निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
भाजपा के लिए यह उपचुनाव पार्टी की संगठनात्मक एकता की भी परीक्षा माना जा रहा है। मुख्यमंत्री शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने बृहस्पतिवार को अंता में संयुक्त रोड शो किया। इसे संगठन के नेताओं में एकजुटता दिखाने का प्रयास माना गया क्योंकि पार्टी में गुटबाजी की चर्चाएं लगातार होती रही हैं। हालांकि भाजपा नेताओं ने कहा कि सुमन की उम्मीदवारी मुख्यमंत्री शर्मा व राजे के बीच आम सहमति के फार्मूले को दर्शाती है।
राजे ने प्रचार के दौरान कहा, “यह उपचुनाव जनबल और धनबल के बीच है। एक तरफ जनबल मतलब जनता की ताकत है, तो दूसरी तरफ धनबल अर्थात पैसों की ताकत है। जनबल हमारे साथ है। इसलिए तय मानिये जनबल जीतेगा और धनबल हारेगा।”
गहलोत ने पार्टी उम्मीदवार भाया के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रचार किया है। उन्होंने प्रचार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और स्थानीय विश्वास पर केंद्रित रखा। उन्होंने बारां में एक सभा में कहा, ‘यह महज चुनाव नहीं है- यह लोगों को राहत पहुंचाने वाले कामों को जारी रखने के बारे में है।’
इस इलाके में मीणा समाज के लोग बड़ी संख्या में है। निर्दलीय नरेश मीणा इसका फायदा उठाना चाहेंगे। विश्लेषकों के अनुसार आदिवासी और ओबीसी मतदाताओं के बीच मीणा की बढ़ती पकड़ ने भाजपा और कांग्रेस, दोनों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
हाड़ौती इलाके की अंता विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से रूप बदलती रही है। कांग्रेस ने 2008 और 2018 में यह सीट जीती तो भाजपा ने 2013 व 2023 में इस सीट पर जीत हासिल की। स्थानीय लोगों का कहना है कि जातिगत समीकरण, विकास के मुद्दे और राज्य स्तर पर सरकार की छवि इस बार मतदाताओं के रुख को प्रभावित कर रही है।
जिला निर्वाचन अधिकारी रोहिताश सिंह तोमर ने कहा कि शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए सारे बंदोबस्त कर लिए गए हैं। संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा, ‘हम शांतिपूर्ण, स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित कर रहे हैं।’
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अंता विधानसभा क्षेत्र में कुल 268 मतदान केन्द्रों पर मतदान होगा। क्षेत्र में 2,28,264 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 1,16,783 पुरुष व 1,11,477 महिलाएं शामिल हैं।
इस उपचुनाव को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पदभार ग्रहण करने के बाद पहली चुनावी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। यहां जीत मिली तो उनके नेतृत्व की स्वीकार्यता बढ़ेगी तथा लंबे समय से राजे का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में भाजपा के संगठनात्मक नियंत्रण की पुष्टि होगी।
कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव उतना ही महत्वपूर्ण है। भाया की जीत गहलोत की लोक कल्याणकारी राजनीति में निरंतर विश्वास का संकेत देगी और पिछले विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी का मनोबल बढ़ाने में मदद करेगी।
भाषा पृथ्वी
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