नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को मनोनीत सदस्य पी. टी. ऊषा ने सरकार से ‘एंटी-डोपिंग किट’ के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया, ताकि भारत को ‘डोप-मुक्त’ खेल राष्ट्र बनाया जा सके।
उच्च सदन में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए ऊषा ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत देश में ‘एंटी-डोपिंग किट’ का स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह खिलाड़ियों की ईमानदारी और देश की वैश्विक छवि से जुड़ा है।
ऊषा ने कहा, “भारत एक वैश्विक खेल शक्ति के रूप में उभर चुका है। हमारे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय पदक जीत रहे हैं और लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। लेकिन डोपिंग का खतरा अब भी निष्पक्ष खेल, खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और देश की प्रतिष्ठा के लिए गंभीर चुनौती है।”
उन्होंने बताया कि वर्तमान में उच्च गुणवत्ता वाली ‘एंटी-डोपिंग किट’ और उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा आयातित है, जिससे लागत बढ़ती है, परीक्षण में देरी होती है और बाहरी एजेंसियों पर निर्भरता बनी रहती है।
ऊषा ने कहा, “इस जगह ‘मेक इन इंडिया’ मिशन परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकता है। एंटी-डोपिंग किट, नमूना संग्रहण उपकरण, परीक्षण सामग्री और पोर्टेबल डिटेक्शन उपकरणों के लिए स्वदेशी अनुसंधान, निर्माण और तकनीकी विकास को प्रोत्साहित करके भारत आत्मनिर्भर बन सकता है और विश्व स्तरीय एंटी-डोपिंग समाधान का वैश्विक आपूर्तिकर्ता भी बन सकता है।”
उन्होंने कहा कि इस पहल से लागत कम होगी, परीक्षण तेज होगा, पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्रामीण से लेकर उच्च स्तर तक खेल के सभी स्तरों में निरोधक तंत्र मजबूत होगा।
ऊषा ने कहा कि स्वदेशी किट उत्पादन से रोजगार के अवसर, नवाचार और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
खेल को डोप-मुक्त बनाने के लिए उन्होंने समग्र दृष्टिकोण अपनाने, युवाओं में जागरूकता अभियान चलाने, प्रशिक्षण केंद्रों में निगरानी बढ़ाने, नियमित जांच और उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि साफ-सुथरे खिलाड़ी को पूर्ण समर्थन और सुरक्षा मिले।”
ऊषा ने आग्रह किया कि सरकार ‘मेक इन इंडिया’ के तहत राष्ट्रीय स्वदेशी ‘एंटी-डोपिंग किट’ विकास कार्यक्रम तैयार करे और भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों और स्टार्टअप का समर्थन कर डोपिंग पहचान तकनीक में नवाचार को प्रोत्साहित करे।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी (एनएडीए) और क्षेत्रीय परीक्षण प्रयोगशालाओं को आधुनिक उपकरण और मानव संसाधनों से सशक्त बनाना चाहिए और पूरे देश में साफ-सुथरी और डोप-मुक्त खेल संस्कृति बनाने के लिए आंदोलन शुरू करना चाहिए।
ऊषा ने कहा, “खेल की शुद्धता की रक्षा केवल नियामक कर्तव्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जिम्मेदारी है और इस दिशा में तत्काल और ठोस कदम उठाना चाहिए।’’
भाषा मनीषा अविनाश
अविनाश