धर्म सभी को सुख की ओर ले जा सकता है, हमें लालच या भय के कारण धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए: भागवत

धर्म सभी को सुख की ओर ले जा सकता है, हमें लालच या भय के कारण धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए: भागवत

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  • Publish Date - April 12, 2025 / 07:36 PM IST,
    Updated On - April 12, 2025 / 07:36 PM IST

वलसाड (गुजरात), 12 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि रोजमर्रा की जिंदगी में लालच और प्रलोभन का सामना करना पड़ सकता है और ये चीजें लोगों को उनके धर्म से दूर कर सकती हैं, लेकिन धर्म ही सभी को खुशी की ओर ले जा सकता है।

भागवत ने वलसाड जिले के बारुमल स्थित सद्गुरुधाम में श्री भाव भावेश्वर महादेव मंदिर के रजत जयंती समारोह में भाग लेते हुए कहा कि लोगों को लालच या भय के प्रभाव में आकर अपना धर्म नहीं बदलना चाहिए।

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘हम एकजुट होना जानते हैं और एकजुट होना चाहते हैं। हम लड़ना नहीं चाहते। लेकिन हमें खुद को बचाना होगा क्योंकि आज भी ऐसी ताकतें हैं जो चाहती हैं कि हम बदल जाएं (धर्म परिवर्तन कर लें)।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब हमारे दैनिक जीवन में ऐसी कोई ताकत नहीं होती, तब भी लालच और प्रलोभन की घटनाएं सामने आती हैं।’’

भागवत ने कहा कि महाभारत के समय धर्म परिवर्तन करने वाला कोई नहीं था, लेकिन पांडवों का राज्य हड़पने के लालच में दुर्योधन ने जो किया वह ‘अधर्म’ था।

उन्होंने कहा, ‘‘धार्मिक आचरण नियमित रूप से किया जाना चाहिए। हमें आसक्ति और मोह के प्रभाव में आकर काम नहीं करना चाहिए, न ही स्वार्थ में फंसना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि लालच या भय हमें अपनी आस्था से विमुख करे। इसीलिए यहां ऐसे केंद्र स्थापित किए गए हैं।’’

भागवत सद्गुरुधाम का जिक्र कर रहे थे, जो आदिवासियों के उत्थान के लिए दूरदराज के आदिवासी इलाकों में सामाजिक गतिविधियों का संचालन करता है।

उन्होंने कहा कि जब इन इलाकों में ऐसे केंद्र संचालित नहीं थे, तो तपस्वी गांव-गांव जाकर लोगों को सत्संग सुनाते थे और उन्हें धर्म के मार्ग पर दृढ़ रखते थे। उन्होंने कहा कि बाद में जब आबादी बढ़ी, तो इन केंद्रों की स्थापना की गई, जहां लोग आते हैं और धर्म का लाभ उठाते हैं।

भाषा शफीक रंजन

रंजन