राजद्रोह संबंधी प्राथमिकियों की निगरानी की जिम्मेदारी एसपी रैंक के अधिकारी को दी जा सकती है: केंद्र

राजद्रोह संबंधी प्राथमिकियों की निगरानी की जिम्मेदारी एसपी रैंक के अधिकारी को दी जा सकती है: केंद्र

राजद्रोह संबंधी प्राथमिकियों की निगरानी की जिम्मेदारी एसपी रैंक के अधिकारी को दी जा सकती है: केंद्र
Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: May 11, 2022 12:19 pm IST

नयी दिल्ली, 11 मई (भाषा) केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से बुधवार को कहा कि पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी को राजद्रोह के आरोप में दर्ज प्राथमिकियों की निगरानी करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ को बताया कि राजद्रोह के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करना बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह प्रावधान एक संज्ञेय अपराध से संबंधित है और 1962 में एक संविधान पीठ ने इसे बरकरार रखा था।

केंद्र ने राजद्रोह के लंबित मामलों के संबंध में न्यायालय को सुझाव दिया कि इस प्रकार के मामलों में जमानत याचिकाओं पर शीघ्रता से सुनवाई की जा सकती है, क्योंकि सरकार हर मामले की गंभीरता से अवगत नहीं हैं और ये आतंकवाद, धन शोधन जैसे पहलुओं से जुड़े हो सकते हैं।

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विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘ अंतत: लंबित मामले न्यायिक मंच के समक्ष हैं और हमें अदालतों पर भरोसा करने की जरूरत है। ’’

मामले पर सुनवाई अभी जारी है।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से कहा था कि राजद्रोह के संबंध में औपनिवेशिक युग के कानून पर किसी उपयुक्त मंच द्वारा पुनर्विचार किए जाने तक नागरिकों के हितों की सुरक्षा के मुद्दे पर 24 घंटे के भीतर वह अपने विचार स्पष्ट करे।

शीर्ष अदालत राजद्रोह संबंधी कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

भाषा निहारिका सिम्मी

सिम्मी


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