कोलकाता, 11 फरवरी (भाषा) आरजी कर चिकित्सा महाविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं के एक मामले में आरोप तय किये जाने को स्थगित करने की कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष की अपील पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उच्च पदों पर भ्रष्टाचार से राज्य के विषयों में जनता के विश्वास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जिस विशेष अदालत के समक्ष मामले की सुनवाई होनी है, वह उच्च न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई से पहले एक तारीख तय कर सकती है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने घोष और चार अन्य को आरजी कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमिततताओं के मामले में गिरफ्तार किया था। जब घोष आरजी कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के प्राचार्य थे, तब ये वित्तीय अनियमितताएं कथित रूप से हुई थीं।
न्यायमूर्ति बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और उसे बताया गया है कि प्रतिवादी आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
खंडपीठ ने कहा, ‘‘ उच्च पदों पर भ्रष्टाचार से राज्य के मामलों में जनता के विश्वास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की शीघ्र सुनवाई से न्याय प्रणाली में लोगों का विश्वास मजबूत होगा।’’
खंडपीठ ने कहा, ‘‘इसी प्रकार, हिरासत में लिए गए आरोपियों को निष्पक्ष और शीघ्र सुनवाई का अधिकार है। इस स्थिति को देखते हुए, शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता न्याय प्रशासन के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है।’’
मंगलवार को सुनवाई शुरू होने पर सीबीआई ने खंडपीठ के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की।
खंडपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर मामले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी ने बुधवार तक आरोपियों को इलेक्ट्रॉनिक/स्कैन प्रतियां उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है।
खंडपीठ ने कहा कि प्रतिवादी आरोपी दस्तावेजों का सत्यापन कर सकते हैं और सीबीआई से निचली अदालत के न्यायाधीश के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अनुरोध कर सकते हैं।
भाषा
राजकुमार दिलीप
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