Samvidhan Sadan Of India
नई दिल्ली : नए संसद भवन में आअज गणेशा चतुर्थी के पर्व पर कामकाज चालू हो चुका है। इस मौके पर खुद प्रधानमंत्री मोदी संविधान की प्रतियां लेकर नए संसद भवन पहुंचे। इस दौरान सत्तापक्ष के सांसद भी उनके साथ थे। नए संसद में कामकाज के पहले ही दिन मोदी सरकार ने ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल संसद के पटल पर रखा जिस पर अब बहस भी होगी। नए संसद भवन के लोकार्पण के मकसद से ही सरकार ने पांच दिनों के लिए संसद के विशेष सत्र का आयोजन किया है, जिसमें सभी दलों की सहमति भी है।
वही इन सबके बीच यह सवाल उठ रहे थे कि नए भवन में कामकाज शुरू पुराने संसद भवन का क्या होगा। हालाँकि सरकार ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक या ठोस फैसला नहीं लिया लेकिन पुराने संसद का नया नामकरण जरूर कर दिया गया है।
सरकार की तरफ से इस बारे में ऐलान करते हुए बताया गया है कि पुराने संसद भवन को अब संविधान सदन के नाम से जाना जाएगा। एक्स (पहले ट्विटर) पर इसकी जानकारी न्यूज एजेंसी एएनआई ने प्रेषित की है।
लोकसभा अध्यक्ष को यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि पुराने संसद भवन को अब संविधान सदन के रूप में जाना जाएगा: लोकसभा सचिवालय pic.twitter.com/TDho3MfFDd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 19, 2023
लम्बे वक़्त के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी देश के नए संसद में गरजेंगी। दरअसल सोनिया गांधी महिला आरक्षण बिल पर होने वाली बहस में कांग्रेस की तरफ से बतौर मुख्य वक्ता हिस्सा लेंगी। सोनिया गांधी काफी समय बाद किसी मुद्दे पर सरकार के खिलाफ संसद में बहस करेंगी। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से इसकी पुष्टि की है।
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी कल लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के लिए कांग्रेस की मुख्य वक्ता होंगी: सूत्र
(फ़ाइल तस्वीर) pic.twitter.com/y7zQ5pCVvK
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 19, 2023
इस पूरे बिल को लेकर अब सरकार को भाजपा के भीतर ही चुनौती मिलनी शुरू हो गई है। एमपी की पूर्व सीएम और सांसद उमा भारती ने इस बिल का पुरज़ोर तरीके से विरोध किया है। उन्होंने इस बाबत दो पन्नो का खत प्रधानमंत्री को प्रेषित किया है। उमा भारती ने कहा है कि जब तक इस बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए प्रावधान नहीं होगा वह विरोध करती रहेंगी। 1996 में देवेगौड़ा सर्कार ने जब यह बिल पटल पर रखा था तब भी उन्होंने इसका विरोध किया था। उमा भारती ने मांग किया है कि इस विधेयक में एससी, एसटी के साथ ओबीसी की स्थिति स्पष्ट की जाएँ।
#WATCH मुझे बहुत खुशी है कि महिला आरक्षण विधेयक आया लेकिन मुझे कसक है कि इसमें पिछड़ी जाति, SC, ST के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। अगर उन्हें नहीं मिलेगा तो मुझे डर है कि यह 33% आरक्षण उस वर्ग को चला जाएगा जो बस मनोनीत से होंगे…मैंने प्रधानमंत्री मोदी को इसे लेकर चिट्ठी लिखी… pic.twitter.com/1l5lgXalC5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 19, 2023
महिला आरक्षण बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है। उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था। लेकिन पारित नहीं हो सका था। यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था।
बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था। इस 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था। इस बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के ज़रिए आवंटित की जा सकती हैं।