न्यायालय ने आंध्र के 3,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में तीन आरोपियों को आत्मसमर्पण करने से छूट दी

न्यायालय ने आंध्र के 3,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में तीन आरोपियों को आत्मसमर्पण करने से छूट दी

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  • Publish Date - November 26, 2025 / 06:09 PM IST,
    Updated On - November 26, 2025 / 06:09 PM IST

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश में कथित तौर पर हुए 3,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में तीन आरोपियों को आत्मसमर्पण करने से बुधवार को अंतरिम राहत दे दी।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी जिनमें इन आरोपियों की जमानत रद्द कर दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने उन्हें मामले की सुनवाई कर रही अदालत में 26 नवंबर को आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए अनुरोध करने का निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने बालाजी गोविंदप्पा, पेल्लकुरु कृष्ण मोहन रेड्डी और के. धनंजय रेड्डी की याचिकाओं पर आंध्र प्रदेश और अन्य को नोटिस जारी किए तथा अगले आदेश तक उन्हें आत्मसमर्पण करने से राहत दे दी।

सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि 400 गवाह हैं और अंततः यह संख्या 200 हो सकती है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर हम 100 गवाह होने की बात मान भी लें, तो आपको कितना समय लगेगा? कई बार ‘डिफ़ॉल्ट’ जमानत के मामले में, अगर अदालत नियमित जमानत के अनुरोध पर विचार करती है और इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि निष्पक्ष सुनवाई को प्रभावित किये बिना किसी व्यक्ति को राहत दी जा सकती है, तो कई आवेदन निष्फल हो जाते हैं।’’

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि शुरुआत में, निचली अदालत ने हमारे आरोपपत्र को खारिज कर दिया था और ‘‘अब आरोपपत्र वापस आ गया है तथा हम सुनवाई में तेजी लाने की कोशिश करेंगे।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम किसी अकादमिक चर्चा में नहीं पड़ना चाहते, क्योंकि इससे अदालत का समय बर्बाद होता है। आपको हमें बताना होगा कि उन्हें हिरासत में रखने से क्या उद्देश्य पूरा होगा। हम जानते हैं कि उनमें से एक वरिष्ठ अधिकारी था और अगर आपको लगता है कि गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है… तो हम कुछ शर्तें रख सकते हैं।’’

इसके बाद, पीठ ने नोटिस जारी किया और राज्य सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।

न्यायालय ने निर्देश दिया, ‘‘इस बीच, याचिकाकर्ताओं को अधीनस्थ अदालत द्वारा पहले से लगाई गई शर्तों के साथ आत्मसमर्पण करने से छूट दी जाती है।’’

आरोपियों में शामिल, धनंजय रेड्डी एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव थे। कृष्ण मोहन रेड्डी तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) थे और बालाजी गोविंदप्पा भारती सीमेंट्स के निदेशक थे।

अभियोजन पक्ष ने राजनीतिक-व्यावसायिक सांठगांठ का आरोप लगाया है, जिसमें 2019 और 2024 (पूर्ववर्ती वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान) के बीच शराब खरीद में हेराफेरी, लोकप्रिय ब्रांडों की अनदेखी, नये लेबल को तरजीही आदेश और व्यवस्थित तरीके से रिश्वखोरी को रेखांकित किया गया है।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश