नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को टेक कंपनी बायजू के प्रवर्तकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई, जिसमें कंपनी की दिवाला प्रक्रिया में ‘प्री-कॉरपोरेट’ दिवाला समाधान प्रक्रिया (प्री-सीओसी) निपटान को बरकरार रखने की मांग की गई है।
प्रवर्तकों के वकीलों ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की चेन्नई पीठ के उस निर्णय को चुनौती दी, जिसमें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा शुरू की गई दिवाला कार्यवाही को वापस लेने से इनकार कर दिया गया था, जबकि लेनदारों की समिति (सीओसी) के गठन से पहले बकाया राशि का पूर्ण और अंतिम निपटान हो चुका था।
यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिसने बीसीसीआई सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर याचिका पर उनके जवाब मांगे।
पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए’’। पीठ ने कहा कि ‘‘अगली तिथि यानी 21 जुलाई, 2025 को अंतरिम राहत के लिए प्रार्थना पर विचार किया जाएगा।’’
याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें पेश करते हुए वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने कहा कि बायजू और बीसीसीआई के बीच 158 करोड़ रुपये के समझौते पर पूरी तरह सहमति बन गई थी, भुगतान हो गया था और सीओसी के गठन से पहले ही अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को औपचारिक रूप से सूचित कर दिया गया था।
दलील आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ वकील गुरु कृष्ण कुमार ने राहत की मांग की और कहा, ‘‘भारत में थिंक एंड लर्न (बायजू) के दिवालापन को संभालने वाले समाधान पेशेवर ने अमेरिका में थिंक एंड लर्न द्वारा ऋणदाताओं के खिलाफ शुरू की गई कानूनी कार्यवाही वापस ले ली है। इससे अमेरिका में कंपनी की काफी संपत्ति का निपटान हो रहा है।’’
भाषा वैभव माधव
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