वरकला (केरल), 31 दिसंबर (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा संत-समाज सुधारक श्री नारायण गुरु के दर्शन को विकृत करने और हथियाने के प्रयासों के खिलाफ बुधवार को चेताया।
उन्होंने नारायण गुरु को किसी विशेष धर्म या समुदाय की सीमाओं में सीमित करने के ऐसे प्रयासों के प्रति सतर्क रहने का लोगों से आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने वरकला स्थित गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरि मठ में 93वें शिवगिरि तीर्थ सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही।
सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष शिवगिरि तीर्थ सम्मेलन ऐसे समय आयोजित किया जा रहा है जब कुछ तत्व नारायण गुरु के दर्शन को विकृत करने और हथियाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें गुरु को किसी एक जाति या धर्म की सीमाओं में बांधने के गुप्त प्रयासों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। श्री नारायण गुरु सच्चे विश्व शिक्षक हैं जिन्होंने जाति और धार्मिक भेदभाव से परे मानवता को मानवतावाद, एकता, भाईचारे और मित्रता का मार्ग दिखाया।’’
विजयन ने कहा कि गुरु के दृष्टिकोण का आधुनिक केरल के निर्माण पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने देश के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए नारायण गुरु के संदेश को प्रगतिशील शक्तियों की दृष्टि से एकीकृत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
विजयन ने पहचान के आधार पर लोगों को विभाजित करने के प्रयासों का विरोध करने और श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं में निहित लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को मजबूत करने के लिए सामूहिक प्रयासों का भी आह्वान किया।
विजयन ने कहा कि एक सदी से भी अधिक समय पहले गुरु ने हमारे समाज में प्रचलित प्रतिगामी और अन्यायपूर्ण प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई।
उन्होंने देश में विविधता और उपसंस्कृतियों को नजरअंदाज करते हुए भारतीय संस्कृति को एकरूप में प्रस्तुत करने के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने बिना किसी का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि मिथकों और मनगढ़ंत कहानियों को ऐतिहासिक सत्य के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया इस समारोह में मुख्य अतिथि थे। कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल और एसएनडीपी योगम के महासचिव वेल्लापल्ली नटेसन सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी इसमें भागीदारी की।
भाषा आशीष नरेश
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