Mohan Bhagwat Raipur Visit/Image Source: IBC24
रायपुर: Mohan Bhagwat Raipur Visit: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत रायपुर जिले के अभनपुर क्षेत्र में आयोजित हिंदू सम्मेलन में शामिल हुए। यह सम्मेलन अभनपुर के सोनपैरी गांव स्थित असंग देव कबीर आश्रम में आयोजित किया गया जहां डॉ. मोहन भागवत ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया।सम्मेलन का शुभारंभ मंच पर राष्ट्रीय संत असंग देव, गायत्री परिवार की प्रमुख उर्मिला नेताम सहित अन्य अतिथियों की उपस्थिति में हुआ। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, कैबिनेट मंत्री ओपी चौधरी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव, सांसद बृजमोहन अग्रवाल सहित भाजपा, आरएसएस और विभिन्न हिंदू संगठनों के प्रमुख नेता एवं पदाधिकारी भी शामिल हुए।
Mohan Bhagwat Raipur Visit: हिंदू सम्मेलन को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आरएसएस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर उत्सव मनाने के बजाय समाज के बीच जाकर कार्य करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि चर्चा संकट की नहीं, बल्कि उसके समाधान की होनी चाहिए। डॉ. भागवत ने जीवन में पांच बातों का विशेष ध्यान रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी को अपना मानें, अपनों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं, देश और समाज के लिए समय व धन दें, अपनी भाषा का अधिक प्रयोग करें, स्वावलंबी बनें और संविधान का पालन करें। उन्होंने बताया कि आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्र निर्माण का संदेश देना है।
Mohan Bhagwat Raipur Visit: विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल गायत्री परिवार की प्रमुख उर्मिला नेताम ने कहा कि वर्तमान समय में बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं मिल पा रहे हैं, जबकि इसकी अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई और गीत के माध्यम से संदेश दिया कि यदि नारी जाग जाए तो देश बदल सकता है। राष्ट्रीय संत असंग देव ने अपने संबोधन में कहा कि स्वयंसेवक संघ स्वयं की सेवा करना सिखाता है। उन्होंने कहा कि संगठित रहना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि संस्कारों के अभाव में मनुष्य देवताओं से श्रेष्ठ जीवन मिलने के बावजूद भी हैवानियत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने संगत और अनुशासन को जीवन, परिवार और राष्ट्र के लिए अनिवार्य बताया और कहा कि आपस में बंटकर नहीं, बल्कि सटकर रहना चाहिए।