न्यायालय ने तीस्ता सीतलवाड़ को सम्मेलन के लिए मलेशिया यात्रा करने की अनुमति दी

न्यायालय ने तीस्ता सीतलवाड़ को सम्मेलन के लिए मलेशिया यात्रा करने की अनुमति दी

न्यायालय ने तीस्ता सीतलवाड़ को सम्मेलन के लिए मलेशिया यात्रा करने की अनुमति दी
Modified Date: August 20, 2024 / 07:31 pm IST
Published Date: August 20, 2024 7:31 pm IST

नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को एक सम्मेलन के लिए 31 अगस्त से 10 सितंबर तक मलेशिया यात्रा की अनुमति दे दी तथा आरोपी से एक शपथपत्र दाखिल करने को कहा कि वह निर्धारित समय पर भारत लौट आयेगी।

शीर्ष न्यायालय ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर दस्तावेज तैयार करने के मामले में तीस्ता को पिछले वर्ष जुलाई में नियमित जमानत दे दी थी।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान तीस्ता की ओर से पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता ने विदेश यात्रा की अनुमति के लिए आवेदन किया है, क्योंकि शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि उसका पासपोर्ट सत्र अदालत के पास ही रहेगा।

 ⁠

उन्होंने अपनी मुवक्किल की ओर से पीठ से कहा, ‘‘मैं (सीतलवाड़) आपसे 31 अगस्त से 10 सितंबर तक मलेशिया में नस्लवाद विरोधी सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति मांग रही हूं।’’

गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें अदालत के समक्ष हलफनामा दायर करने के लिए कहा जाना चाहिए।

पीठ ने मेहता की इस दलील को संज्ञान में लिया कि सीतलवाड़ पर कुछ शर्तें लगाई जानी चाहिए ताकि मुकदमे के लिए उनकी वापसी सुनिश्चित हो।

पीठ ने सीतलवाड़ को मलेशिया यात्रा की अनुमति देते हुए कहा कि उनका पासपोर्ट उन्हें लौटाया जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (सीतलवाड़) इस न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दाखिल करेंगी कि वह निर्धारित समय पर भारत लौटेंगी और मुकदमे का सामना करेंगी।’’

उन्होंने कहा कि वह सत्र अदालत की संतुष्टि के लिए 10 लाख रुपये की जमानत राशि भी जमा करेंगी।

न्यायालय ने कहा कि मलेशिया से लौटने पर सीतलवाड़ को अपना पासपोर्ट फिर से निचली अदालत के न्यायाधीश के पास जमा कराना होगा। पिछले साल 19 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के एक जुलाई के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें तीस्ता को मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

भाषा वैभव रंजन

रंजन


लेखक के बारे में