न्यायालय ने राज्य विधिज्ञ परिषदों में महिला वकीलों के लिए 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखने का आदेश दिया

न्यायालय ने राज्य विधिज्ञ परिषदों में महिला वकीलों के लिए 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखने का आदेश दिया

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 08:20 PM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 08:20 PM IST

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को निर्देश दिया कि जिन राज्य विधिज्ञ परिषदों में चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, उनमें 30 प्रतिशत सीटें महिला वकीलों के लिए आरक्षित रखी जाएं।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि चालू वर्ष के लिए, जिन राज्य विधिज्ञ परिषदों में अभी चुनाव होने हैं, उन्हें 20 प्रतिशत सीटें महिला उम्मीदवारों से भरनी चाहिए और यदि चुनाव लड़ने के इच्छुक वकील ज्यादा नहीं हैं, तो 10 प्रतिशत सीटें विशेष चयन (को-ऑप्शन) के माध्यम से भरी जानी चाहिए।

बार काउंसिल के सदस्य चुनाव के संदर्भ में ‘सह चयन’ उस प्रक्रिया को कहा जाता है, जिसमें काउंसिल के मौजूदा या नवनिर्वाचित सदस्य, बार के सभी सदस्यों द्वारा होने वाले प्रत्यक्ष और सामान्य चुनाव की बजाय, आपस में वोट करके अतिरिक्त सदस्यों का चयन करते हैं।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि उन राज्य विधिज्ञ परिषदों के संबंध में विशेष चयन का प्रस्ताव अदालत के समक्ष रखा जाएगा, जहां चुनाव लड़ने वाली महिला वकीलों की संख्या अपर्याप्त है।

शुरुआत में वरिष्ठ अधिवक्ता और भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने पीठ को सूचित किया कि न्यायालय के पूर्व निर्देश के अनुसार चुनाव की अधिसूचना के साथ छह बार निकायों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है।

उन्होंने कहा कि बीसीआई का सिद्धांततः यह मत है कि राज्य विधिज्ञ परिषदों में महिलाओं के लिए कम से कम 30 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए तथा सुझाव दिया कि वर्तमान वर्ष के लिए परिषदों को महिला अभ्यर्थियों को शामिल करके पदों को भरने की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि 15 प्रतिशत सीटें महिला सदस्यों की विशेष चयन के माध्यम से भरी जाएं।

हालांकि, पीठ ने कहा कि यह उचित होगा कि विशेष चयन केवल 10 प्रतिशत सीटों तक ही सीमित रहे।

पीठ ने कहा कि उन विधिज्ञ परिषद में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करना विवेकपूर्ण नहीं होगा, जहां चुनाव प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।

शीर्ष अदालत अधिवक्ता योगमाया एम जी और शेहला चौधरी द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों में समान रूप से 30 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू करने का आदेश व्यावहारिक नहीं हो सकता, क्योंकि कई राज्यों में महिला वकीलों का प्रतिशत बहुत कम है।

उच्चतम न्यायालय ने चार दिसंबर को बीसीआई को आगामी राज्य विधिज्ञ परिषद चुनावों में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने को कहा था।

योगमाया और चौधरी द्वारा दायर याचिकाओं में यह भी मांग की गई थी कि कम से कम एक पदाधिकारी का पद महिला वकीलों के लिए क्रमवार आधार पर आरक्षित किया जाए।

भाषा प्रशांत दिलीप

दिलीप