SC Status after Conversion: ‘ईसाई धर्म अपनाने पर ख़त्म हो जाता है SC का दर्जा’.. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनाया बड़ा फैसला, आप भी पढ़ें

अदालत ने रामिरेड्डी और अन्य के खिलाफ मामला खारिज कर दिया और आदेश दिया कि आनंद के जाति प्रमाणपत्र की वैधता की जांच प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जाए।

SC Status after Conversion: ‘ईसाई धर्म अपनाने पर ख़त्म हो जाता है SC का दर्जा’.. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनाया बड़ा फैसला, आप भी पढ़ें

SC status ends on adopting Christianity || IMAGE- Deccan Mirror File

Modified Date: May 2, 2025 / 12:01 pm IST
Published Date: May 2, 2025 11:35 am IST
HIGHLIGHTS
  • ईसाई धर्म अपनाने पर SC दर्जा स्वतः समाप्त होगा।
  • SC/ST अधिनियम की सुरक्षा धर्मांतरण के बाद लागू नहीं होगी।
  • कोर्ट ने झूठी FIR रद्द कर सर्टिफिकेट जांच के आदेश दिए।

SC status ends on adopting Christianity: अमरावती: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में साफ़ किया है कि अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति (SC) का होने के बावजूद ईसाई धर्म अपना लेता है, तो वह अनुसूचित दर्जा स्वतः ही खो देता है। इसके बाद उसे SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मिलने वाली कानूनी सुरक्षा का लाभ नहीं मिलता।

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल यह फैसला न्यायमूर्ति एन. हरिनाथ ने गुंटूर जिले के कोथापलेम के पादरी चिंतादा आनंद से जुड़े एक मामले में सुनाया है। आनंद ने जनवरी 2021 में चंदोलू पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अक्कला रामिरेड्डी और अन्य लोगों ने उनकी जाति के आधार पर अपमानजनक व्यवहार किया।

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SC status ends on adopting Christianity: पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर SC/ST अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया, लेकिन आरोपी पक्ष ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की।

क्या कहा अदालत ने?

याचिकाकर्ताओं के वकील फणी दत्त ने तर्क दिया कि आनंद ने एक दशक से अधिक समय पहले ईसाई धर्म अपना लिया और पादरी के रूप में कार्य कर रहे हैं, इसलिए वे अब संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के अनुसार SC श्रेणी में नहीं आते।

SC status ends on adopting Christianity: वहीं, आनंद के वकील ईरला सतीश कुमार ने दावा किया कि उनके मुवक्किल के पास वैध अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र है, जो उन्हें अधिनियम के तहत सुरक्षा प्राप्त करने के योग्य बनाता है। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ईसाई धर्म में जाति व्यवस्था मान्य नहीं है, और धर्मांतरण के पश्चात कोई भी अनुसूचित जाति का व्यक्ति अब SC अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता, चाहे उसके पास जाति प्रमाणपत्र हो या नहीं।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

न्यायमूर्ति हरिनाथ ने कहा कि आनंद ने अपने SC दर्जे का हवाला देकर झूठी शिकायत दर्ज की और SC/ST कानून का दुरुपयोग किया। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि पुलिस ने आनंद की धार्मिक स्थिति की पुष्टि किए बिना मामला दर्ज किया, जो एक गंभीर चूक है।

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रामिरेड्डी को राहत, आनंद के सर्टिफिकेट की जांच होगी

SC status ends on adopting Christianity: अदालत ने रामिरेड्डी और अन्य के खिलाफ मामला खारिज कर दिया और आदेश दिया कि आनंद के जाति प्रमाणपत्र की वैधता की जांच प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जाए। हालांकि, यह स्पष्ट किया गया कि प्रमाणपत्र का अस्तित्व भी उन्हें धर्मांतरण के बाद SC/ST कानून के अंतर्गत सुरक्षा का अधिकार नहीं देता।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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