एमयूडीए मामले में न्यायालय का फैसला केंद्र की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ पर तमाचा: मुख्यमंत्री सिद्धरमैया

एमयूडीए मामले में न्यायालय का फैसला केंद्र की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ पर तमाचा: मुख्यमंत्री सिद्धरमैया

एमयूडीए मामले में न्यायालय का फैसला केंद्र की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ पर तमाचा: मुख्यमंत्री सिद्धरमैया
Modified Date: July 21, 2025 / 07:24 pm IST
Published Date: July 21, 2025 7:24 pm IST

बेंगलुरु, 21 जुलाई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन मामले में उनकी पत्नी पार्वती बी एम की जांच करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज करना केंद्र सरकार की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ के ‘मुंह पर तमाचा’ है।

उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए एक चेतावनी की तरह होना चाहिए, ताकि वे केंद्रीय एजेंसियों के कथित राजनीतिक दुरुपयोग पर ध्यान दें।

सिद्धरमैया ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘एमयूडीए भूमि आवंटन मामले के संबंध में मेरी पत्नी पार्वती की जांच करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की अपील को खारिज करने वाला उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला केंद्र सरकार की प्रतिशोध की राजनीति के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘इस फैसले ने न केवल मामले की दुर्भावना को उजागर किया है, बल्कि सभी निराधार आरोपों से हमारा नाम भी स्पष्ट रूप से हटा दिया है।’’

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी यहां उनकी पत्नी के खिलाफ आधारहीन मामले बनाने और उनके परिवार को परेशान करने के लिए ‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी जैसी संवैधानिक एजेंसियों का दुरुपयोग करने पर उतर आए हैं।’

मुख्यमंत्री ने कर्नाटक में भाजपा और उसके सहयोगी जनता दल (एस) नेताओं से माफी की भी मांग की और कहा कि उन्होंने एमयूडीए मामले में उन पर और उनके परिवार पर लगातार मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं।

इससे पहले मुख्यमंत्री ने एक बयान में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया।

मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बयान में कहा गया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने एमयूडीए मामले में पार्वती और बिरथी सुरेश को ईडी के नोटिस को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज कर दी गईं। अदालत ने ईडी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करने के प्रति आगाह किया।

बयान में कहा गया,‘‘ अदालत ने कहा कि मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जानी चाहिए। वरिष्ठ एकल न्यायाधीश के आदेश में कोई दोष नहीं पाए जाने के कारण इसे खारिज किया गया। न्याय की जीत हुई है और एमयूडीए मामले में ईडी का हस्तक्षेप समाप्त हो गया है।’’

एमयूडीए मामला मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती सिद्धरमैया को आवंटित भूमि में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।

एमयूडीए मामले में आरोप है कि पार्वती से अधिगृहित जमीन के एवज में उन्हें मैसूर के एक पॉश इलाके में भूमि आवंटित की गई थी, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस भूमि की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए ने ‘‘अधिगृहित’’ किया था।

एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50 अनुपात 50 योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे। एमयूडीए ने पार्वती से अधिगृहित जमीन पर एक आवासीय परियोजना विकसित की थी।

भाषा यासिर नरेश

नरेश


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