काकरापार में बने दूसरे स्वदेशी 700 मेगावाट के परमाणु संयंत्र ने पहली क्रिटिकलिटी को पार किया

काकरापार में बने दूसरे स्वदेशी 700 मेगावाट के परमाणु संयंत्र ने पहली क्रिटिकलिटी को पार किया

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  • Publish Date - December 17, 2023 / 04:52 PM IST,
    Updated On - December 17, 2023 / 04:52 PM IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) गुजरात के काकरापार में निर्मित भारत के दूसरे स्वदेश निर्मित 700 मेगावाट क्षमता के परमाणु ऊर्जा संयंत्र ने शनिवार-रविवार की दरमियानी रात पहली अहम ‘क्रिटिकलिटी’ को पार कर लिया और नियंत्रित विखंडन प्रतिक्रिया की शुरुआत की। इससे वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए बिजली उत्पादन की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ने का मंच तैयार हो गया।

न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक बीसी पाठक की उपस्थिति में शनिवार देर रात एक बजकर 17 मिनट पर यह उपलब्धि हासिल की।

क्रिटिकलिटी किसी परमाणु रिएक्टर की वह स्थिति है जब विखंडन द्वारा रिसाव या अवशोषण द्वारा लापता न्यूट्रॉन की भरपाई के लिए पर्याप्त न्यूट्रॉन बनाए जाते हैं ताकि विखंडन में उत्पन्न न्यूट्रॉन की संख्या स्थिर रहे।

काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना (केएपीपी) यूनिट-4 देश में स्थापित किए जा रहे 700 मेगावाट के 16 स्वदेशी दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) की श्रृंखला में दूसरा है।

पाठक ने संयंत्र स्थल पर अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यूनिट-3 के वाणिज्यिक संचालन के छह महीने के भीतर केएपीपी-4 की अहम उपलब्धि महत्वपूर्ण है।’’

एनपीसीआईएल के एक बयान में कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) की सभी शर्तों को पूरा करने के बाद अहम कसौटी पार की गई जिसने संयंत्र प्रणालियों की सुरक्षा की कड़ी समीक्षा के बाद मंजूरी दी थी।

बयान के मुताबिक पहली अहम कसौटी के बाद, केएपीपी-4 में कई प्रयोग/परीक्षण किए जाएंगे और एईआरबी की मंजूरी के अनुरूप, बिजली उत्पादन का स्तर चरणों में बढ़ाया जाएगा, जो अंततः पूरी शक्ति से इकाई के संचालन में परिणत होगा।

केएपीपी तीन और चार (2 गुना 700 मेगावाट) गुजरात के सूरत जिले के काकरापार में स्थित हैं, जो मौजूदा रिएक्टर केएपीएस 1 और 2 (2गुना 220 मेगावाट) के निकट हैं।

वर्तमान में, एनपीसीआईएल 7,480 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 23 रिएक्टरों का संचालन करता है और 7,500 मेगावाट की क्षमता वाली केएपीपी-4 सहित नौ इकाइयां निर्माणाधीन हैं।

इसके अलावा, 7,000 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 10 और रिएक्टर पूर्व-परियोजना गतिविधियों में हैं। इनके 2031-32 तक पूरा होने की उम्मीद है।

भाषा धीरज रंजन

रंजन