नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) एक वकील ने शनिवार को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखकर उनसे पर्यावरण से संबंधित मामलों के त्वरित और प्रभावी निर्णय के लिए सभी उच्च न्यायालयों में समर्पित और स्थायी ‘हरित पीठ’ गठित करने का आग्रह किया।
अधिवक्ता एवं पर्यावरण कार्यकर्ता आकाश वशिष्ठ ने कहा कि देश अभूतपूर्व जलवायु आपदाओं का सामना कर रहा है और बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक हमलों का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हालांकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण विवादों के निपटारे के लिए एक प्रभावी और कारगर मंच के रूप में विकसित हुआ है, लेकिन राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की अंतर्निहित सीमाएं पर्यावरण न्याय की मांग करने में नागरिकों के लिए बड़ी बाधाएं रही हैं।
सीजेआई को भेजे गए पत्र में वकील ने कहा कि देश के प्रत्येक उच्च न्यायालय में पर्यावरण, पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के स्थायी, समर्पित और मजबूत समाधान के लिए एक त्वरित और प्रभावी तंत्र स्थापित करना समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
पत्र में कहा गया है, ‘देश के सभी 25 उच्च न्यायालयों में एक या एक से अधिक ‘हरित पीठों’ (माननीय उच्चतम न्यायालय की तर्ज पर) का गठन किया जाए।’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘प्रत्येक उच्च न्यायालय में हरित पीठों की संख्या उस संबंधित उच्च न्यायालय में कार्यरत अदालतों की संख्या, न्यायाधीशों की संख्या और उस उच्च न्यायालय के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के तहत राज्य (राज्यों) की जनसंख्या के अनुसार हो सकती है।’’
भाषा अमित दिलीप
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