एड-टेक कंपनियों के साथ डिग्री कोर्स कराने पर दो निजी विश्वविद्यालयों को कारण बताओ नोटिस

एड-टेक कंपनियों के साथ डिग्री कोर्स कराने पर दो निजी विश्वविद्यालयों को कारण बताओ नोटिस

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  • Publish Date - February 10, 2022 / 04:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

notices to two private universities : नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने दो निजी विश्वविद्यालयों को एड-टेक कंपनियों के सहयोग से डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया और कहा है कि यह ‘‘मानदंडों का उल्लंघन’’ है।

तकनीकी शिक्षा नियामक की कार्रवाई ऐसे वक्त हुई है जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को एड-टेक कंपनियों के सहयोग से दूरस्थ शिक्षा तथा ऑनलाइन मोड में पाठ्यक्रम की पेशकश के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि मानदंडों के अनुसार कोई ‘‘फ्रैंचाइजी’’ समझौता स्वीकार्य नहीं है।

एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमने दो ऐसे विश्वविद्यालयों की पहचान की है जिनके विज्ञापन नजर आ रहे थे। इन विश्वविद्यालयों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें इन कंपनियों के साथ ‘आउटसोर्सिंग’ व्यवस्था का स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है और यह जवाब भी मांगा गया है कि उनकी मंजूरी वापस क्यों नहीं ली जानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम जनता के साथ-साथ हितधारकों से भी अपील करते हैं कि वे हमें सूचित करें कि क्या उन्हें विश्वविद्यालयों और एड-टेक कंपनियों के बीच समान व्यवस्था दिख रही है? अब तक, हमने दो विश्वविद्यालयों की पहचान की है, लेकिन अगर हमें ऐसे और अधिक विश्वविद्यालयों का पता चलता है, तो हम कारण बताओ नोटिस उन्हें भी जारी करेंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।’’

एआईसीटीई के अध्यक्ष ने पहले स्पष्ट किया था कि सरकार एड-टेक कंपनियों के खिलाफ नहीं है, लेकिन उन्हें उन क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये एड-टेक कंपनियां प्रबंधन और कंप्यूटर अनुप्रयोगों में स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए विज्ञापन दे रही थीं, जो केवल विश्वविद्यालयों और अनुमोदित कॉलेजों द्वारा ही पेश किए जा सकते हैं। यहां तक ​​कि देश के शीर्ष संस्थानों जैसे भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) को भी संसद में एक अधिनियम पारित होने तक स्नातकोत्तर प्रबंधन की पेशकश करने की अनुमति नहीं थी, बल्कि वह प्रबंधन में केवल पीजी डिप्लोमा करा सकता था।’’

यूजीसी और एआईसीटीई ने छात्रों और अभिभावकों को भी सलाह दी है कि वे किसी भी पाठ्यक्रम में दाखिला लेने से पहले उनकी वेबसाइट पर किसी भी कार्यक्रम की मान्यता की स्थिति की जांच करें।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा