लेह, 11 अगस्त (भाषा) पारंपरिक हिमालयी चिकित्सा पद्धति पर काम करने वाली एक स्वायत्त संस्था ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोवा रिग्पा’ (एनआईएसआर) अरुणाचल प्रदेश में एक स्वास्थ्य सेवा केंद्र खोलेगी। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि अपनी स्थापना के पांच वर्षों के भीतर आयुष मंत्रालय के अधीन इस संस्थान ने स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों के अपने पांचवें बैच का पंजीकरण कर लिया है।
एनआईएसआर की निदेशक पद्मा गुरमेत ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘सोवा रिग्पा को भारत सरकार द्वारा आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है। मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सभी चिकित्सा पद्धतियों का एक केंद्रीय संस्थान है और इसी के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने 2019 में एनआईएसआर की घोषणा की थी। आवश्यक अनुमोदन के बाद संस्थान ने 2020 में काम करना शुरू कर दिया।’’
दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा परंपराओं में से एक ‘सोवा-रिग्पा’ शब्द का अर्थ ‘भोटी’ भाषा में ‘आरोग्य ज्ञान’ होता है।
यह प्रणाली लद्दाख, हिमाचल प्रदेश (लाहौल और स्पीति), जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग), अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे हिमालयी क्षेत्रों में लोकप्रिय है।
यह चीन, मंगोलिया, नेपाल, रूस और भूटान के कुछ हिस्सों में भी प्रचलित है।
गुरमेत ने कहा कि संस्थान का मुख्य उद्देश्य सोवा रिग्पा चिकित्सा पद्धति के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक अनुसंधान करना और हिमालयी क्षेत्र में जन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना है।
भाषा
सुरभि सिम्मी
सिम्मी