राज्य विचाराधीन कैदियों को राहत देने के लिए बीएनएसएस की धारा-479 लागू करें : केंद्र

राज्य विचाराधीन कैदियों को राहत देने के लिए बीएनएसएस की धारा-479 लागू करें : केंद्र

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  • Publish Date - April 30, 2025 / 08:45 PM IST,
    Updated On - April 30, 2025 / 08:45 PM IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 के प्रावधानों को पूर्ण रूप से लागू करने को कहा है।

बीएनएसएस की यह धारा उन विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने का प्रावधान करती है, जो अपने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में बिता चुके हैं।

मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों तथा कारागार के महानिदेशकों और महानिरीक्षकों को लिखे पत्र में कहा है कि धारा 479(3) जेल अधीक्षक पर ऐसे पात्र विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने के लिए संबंधित अदालत के समक्ष आवेदन दायर करने की विशिष्ट जिम्मेदारी डालती है।

इस धारा में प्रावधान है कि ऐसे विचाराधीन कैदी जिन्होंने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की सजा का आधा समय हिरासत में बिता चुके हैं, उन्हें न्यायालय द्वारा जमानत पर रिहा किया जाएगा। पहली बार अपराध करने वालों के लिए, यह प्रावधान अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने पर लागू होता है।

मंत्रालय ने इसके कार्यान्वयन के लिए अतीत में बार-बार किए गए आह्वान का हवाला देते हुए दोहराया कि बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधान विचाराधीन कैदियों की लंबी अवधि तक हिरासत में रहने की समस्या से निपटने और जेलों में भीड़भाड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

पत्र में कहा गया, ‘‘ इसलिए, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध है कि वे धारा 479 के प्रावधानों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए जेल अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करें और निर्धारित प्रारूप में गृह मंत्रालय को मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।’’

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश