नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बोतलबंद पेयजल के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह एक ऐसे देश में ‘‘विलासिता संबंधी मुकदमेबाजी’’ का मामला है जहां अब भी एक बड़ी आबादी की बुनियादी पेयजल तक पहुंच नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, ‘‘इस देश में पीने का पानी कहां है, मैडम? लोगों के पास पीने का पानी उपलब्ध नहीं है; बोतलबंद पेयजल की गुणवत्ता की बात तो बाद में आएगी।’’
सारंग वामन यादवाडकर द्वारा दायर जनहित याचिका में भारतीय बोतलबंद पेयजल मानकों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुधारने और संरेखित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक भी शामिल हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शेनॉय ने दलील दी कि यह मुद्दा सीधे तौर पर जनस्वास्थ्य और उपभोक्ता सुरक्षा से संबंधित है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘क्या आपको लगता है कि हम अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ के दिशानिर्देशों को लागू कर पाएंगे? आइए देश की जमीनी हकीकतों का सामना करें। गरीबों का मुद्दा कोई नहीं उठाता; यह सब अमीरों और शहरीकरण का डर है।’’
भाषा शफीक नेत्रपाल
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