नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अहमदाबाद में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ दर्ज किए गए कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में सोमवार को उन्हें अंतरिम जमानत दे दी।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल मनुभाई पंचोली की पीठ ने इस मामले में विशेष अदालत को रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया और साथ ही पत्रकार से कहा कि वह सुनवाई के दौरान कोई स्थगन का अनुरोध न करे।
उच्चतम न्यायालय ने लांगा से कहा कि वह अपने खिलाफ लंबित मामले पर अखबार में कोई भी लेख न लिखें।
पीठ ने कहा कि यदि आदेश का उल्लंघन होता है, तो वह जमानत रद्द करने पर विचार कर सकती है।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि एक पत्रकार द्वारा धन उगाही करना एक गंभीर अपराध है और वह जमानत का हकदार नहीं है।
पत्रकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की।
पीठ ने अब इस याचिका की सुनवाई की तारीख छह जनवरी निर्धारित की है और इसी दिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को लांगा द्वारा जमानत की शर्तों के पालन की स्थिति रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी।
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने नौ गवाह पेश किए हैं, लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय ने 31 जुलाई को धन शोधन मामले में लांगा की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि जमानत पर रिहा होने से अभियोजन पक्ष के मामले को नुकसान पहुंचेगा।
ईडी ने कहा कि 25 फरवरी को उसने कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में लांगा को गिरफ्तार किया था।
उन्हें पहली बार अक्टूबर 2024 में जीएसटी धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
लांगा के खिलाफ धन शोधन का मामला अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज की गई दो प्राथमिकियों से संबद्ध है, जिसमें लांगा पर धोखाधड़ी, आपराधिक गबन, आपराधिक विश्वासघात, ठगी का आरोप है।
भाषा खारी नरेश
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