7th Pay Commission HRA: ऐसे सरकारी कर्मचारियों को नहीं मिलेगा HRA का लाभ, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
ऐसे सरकारी कर्मचारियों को नहीं मिलेगा HRA का लाभ, Supreme Court Judgement on HRA: Not Get House Allowance to These Govt Employees
Today News and LIVE Update 29 November | Photo Credit : File
नई दिल्लीः Supreme Court Judgement on HRA अपने पिता के साथ सरकारी मकान में रह रहा बेटा हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) पाने का हकदार नहीं है। खासकर ऐसे स्थिति में जब बेटा भी शासकीय कर्मचारी हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी हाउस रेंट अलाउंस के एक मामले की सुनवाई के दौरान कही है। कोर्ट ने अपीलकर्ता के खिलाफ एचआरए वसूली नोटिस को बरकरार रखा है।
Supreme Court Judgement on HRA दरअसल, एचआरए वसूली के नोटिस को लेकर एक सरकारी कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस, चौथी बटालियन में इंस्पेक्टर (टेलीकॉम) थे, 30 अप्रैल 2014 को सेवाओं से सेवानिवृत्त हुए थे। बाद में उन्हें अपने नाम पर बका बकाया हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) की वसूली के संबंध में एक संचार प्राप्त हुआ। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि कश्मीर सिविल सेवा (मकान किराया भत्ता और शहर मुआवजा भत्ता) नियम, 1992 के तहत, सेवानिवृत्ति पर पिता द्वारा एचआरए का दावा नहीं किया जा सकता है। इसलिए अपीलकर्ता को 3,96,814/- रुपये का भुगतान करने के लिए वसूली नोटिस जारी करना उचित था, जिसका उसने पहले एचआरए के रूप में दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते, अपने पिता, एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को आवंटित किराया-मुक्त आवास साझा करते समय एचआरए का दावा नहीं कर सकता था। लगाए गए आदेशों में हस्तक्षेप की आवश्यकता वाली कोई कमजोरी नहीं है।”
इस मामले को लेकर जारी हुआ था नोटिस
वसूली नोटिस एक शिकायत पर जारी किया गया था कि अपीलकर्ता सरकारी आवास का लाभ उठा रहा था और साथ ही एचआरए भी प्राप्त कर रहा था। अपीलकर्ता को बिना पात्रता के एचआरए के रूप में उसके द्वारा निकाली गई निर्धारित राशि 3,96,814/- रुपये जमा करने के लिए नोटिस दिया गया था। अपीलकर्ता यह साबित करने में असफल रहा कि विचाराधीन घर उसके कब्जे में नहीं था, जिसके बाद वसूली नोटिस जारी किया गया था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका में वसूली नोटिस को चुनौती को एकल पीठ के साथ-साथ डिवीजन बेंच ने क्रमश 19 दिसंबर, 2019 और 27 सितंबर, 2021 के आदेशों द्वारा पेटेंट अपील में खारिज कर दिया था।

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