उच्चतम न्यायालय ने अनुबंध रद्द करने के पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के फैसले को खारिज किया
उच्चतम न्यायालय ने अनुबंध रद्द करने के पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के फैसले को खारिज किया
नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें एक निजी कंपनी को कोलकाता में दो ‘अंडरपास’ के रखरखाव के संबंध में मिला ठेका बिना कोई कारण बताए रद्द कर दिया गया था। न्यायालय ने इसे “मनमानी का अनूठा मामला” करार दिया।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें अनुबंध रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा गया था।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा, “हमारा मानना है कि यह मनमानी का एक अनूठा मामला है।”
पीठ ने इस तथ्य का उल्लेख किया कि अनुबंध रद्द करने का निर्णय कथित तौर पर एक मंत्री के आदेश पर लिया गया था।
शीर्ष अदालत ने आठ मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा था कि निजी पक्षों को काम देने वाले ठेकों को बिना कारण बताए रद्द नहीं किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि निजी पक्ष, जो अनुबंध प्राप्त करने के बाद निवेश करते हैं, उन्हें उचित लाभ मिलने की उम्मीद होती है।
मामले के तथ्यों का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अनुबंध रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया गया।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 25 मई, 2023 को एकल पीठ के उस फैसले को कायम रखा, जिसने सुबोध कुमार सिंह राठौड़ की अगुवाई वाली एक कंपनी को दिया गया ठेका निरस्त करने को मंजूरी दे दी थी।
कंपनी को कोलकाता में पूर्वी मेट्रोपोलिटन बाईपास पर दो अंडरपासों के रखरखाव का 10 वर्षों का अनुबंध मिला था। अनुबंध के तहत, कंपनी को अंडरपास के अंदर और ऊपर विज्ञापन लगाने की अनुमति दी गई थी, जिसके लिए उसे कुछ निर्माण कार्य भी करना था।
केएमडीए (कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण) द्वारा हालांकि सात फरवरी, 2023 को अनुबंध समाप्त कर दिया गया।
भाषा प्रशांत दिलीप
दिलीप

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