उच्चतम न्यायालय का राजनीतिक दलों को पॉश अधिनियम के तहत लाने की याचिका पर विचार करने से इनकार

उच्चतम न्यायालय का राजनीतिक दलों को पॉश अधिनियम के तहत लाने की याचिका पर विचार करने से इनकार

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  • Publish Date - August 1, 2025 / 04:30 PM IST,
    Updated On - August 1, 2025 / 04:30 PM IST

नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें प्रमुख राजनीतिक दलों को 2013 के पॉश अधिनियम के दायरे में लाने का अनुरोध किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाना है।

न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर निर्णय संसद को करना है।

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 में अस्तित्व में आया, जिसका उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाना तथा सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करना है।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ योगमाया एम जी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रमुख राजनीतिक दलों को पॉश अधिनियम के दायरे में लाने का अनुरोध किया गया था।

सुनवाई की शुरुआत में, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने पॉश अधिनियम के तहत राजनीतिक दलों को ‘‘नियोक्ता’’ मानने का निर्देश देने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें यौन उत्पीड़न के आरोपों से निपटने के लिए आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) का गठन करना होगा।

प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘यह संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है। हम इसमें कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं?’’

साथ ही उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता कुछ महिला सांसदों को शामिल कर संसद में एक निजी विधेयक पेश कर सकते हैं।

भाषा शफीक दिलीप

दिलीप