नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उन तस्वीरों पर संज्ञान लिया है जिनमें शीर्ष न्यायालय के एक द्वार पर सिर पर मैला ढोने और अमानवीय तरीके से सफाई का काम करते हुए लोगों को देखा जा सकता है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने छह अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘हम यह भी कहने को विवश हैं कि हमें जो तस्वीरें दिखाई गई हैं, उनमें यह दर्शाया गया है कि इस न्यायालय के द्वार ‘एफ’ पर भी सिर पर मैला ढोने और अमानवीय तरीके से सफाई का काम किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के संबंधित अधिकारी उपरोक्त आवेदनों पर जवाब दाखिल करें।’’
न्यायमूर्ति धूलिया नौ अगस्त को सेवानिवृत्त हो गये।
उच्चतम न्यायालय एक जनहित याचिका में दायर आवेदनों पर विचार कर रहा था, जिनमें सिर पर मैला ढोने की प्रथा का मुद्दा उठाया गया है।
अपने आदेश में पीठ ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम को मामले में पक्ष-प्रतिवादी बनाया।
न्यायालय ने निगम को निर्देश दिया कि वह आवेदनों पर जवाब दाखिल कर बताए कि क्यों सिर पर मैला ढोने का काम अब भी इस तरह से किया जा रहा है, जिससे ऐसे श्रमिकों को अपने जीवन को जोखिम में डालना पड़ रहा है और वह भी बिना उचित उपकरणों के, जैसा कि याचिका के साथ संलग्न तस्वीरों में दिखाया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि अगली तारीख पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तो हमारे पास ऐसे अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, जो श्रमिकों के जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं।’’
अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तिथि 10 सितंबर तय की।
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देवेंद्र प्रशांत
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