पर्रा के खिलाफ आतंक के आरोप प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होते हैं: अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा

पर्रा के खिलाफ आतंक के आरोप प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होते हैं: अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा

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  • Publish Date - July 27, 2021 / 04:28 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

(सुमीर कौल)

श्रीनगर, 27 जुलाई (भाषा) जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी सहयोगी एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता वहीद-उर-रहमान पर्रा की जमानत याचिका पांच महीने में दूसरी बार एक विशेष अदालत ने खारिज कर दी है।

अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गये आतंकवाद के आरोप इस समय प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होते हैं।

स्थानीय विशेष एनआईए ( राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) अदालत ने 24 पृष्ठों के अपने आदेश में हालांकि अभियोजन की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि उसे एक नयी जमानत याचिका स्वीकार नहीं करनी चाहिए थी क्योंकि इससे पहले फरवरी में जमानत याचिका खारिज किये जाने के बाद से मामले में कुछ नया नहीं हुआ था।

पर्रा की जमानत याचिका खारिज करते हुए विशेष न्यायाधीश ने कहा, ‘‘…वर्तमान में मैं उपलब्ध कराये गये साक्ष्यों के आधार पर इस बात से सहमत हूं कि आरोपी/वादी (पर्रा) के खिलाफ लगये गये आरोप इस समय प्रथम दृष्टया सत्य प्रतीत होते हैं। ’’

विशेष अदालत ने पर्रा की जमानत याचिका खारिज करने का आदेश इस महीने के प्रारंभ मे पारित किया था लेकिन इसे सोमवार को उपलब्ध कराया गया।

अभियोजन पक्ष ने अदालत में दलील दी कि अब तक की गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि आरोपी और आतंकवादियों के बीच एक दूसरे को सीधे तौर पर और जानबूझ कर फायदा पहुंचाने वाले संबंध थ।

अभियोजन ने दलील दी कि पर्रा के सीमा पार संपर्क थे, जिनके उनके सहयोगियों और पाकिस्तान स्थित आकाओं तथा राष्ट्र विरोधी तत्वों के होने का संदेह है, जिनमें अलगाववादी/ आतंकवादी तथा ब्रिटेन और दुनिया के अन्य हिस्सों में मौजूद इस तरह के तत्व शामिल हैं।

अभियोजन ने इस बात का भी जिक्र किया कि पर्रा ने विभिन्न माध्यमों से कई राष्ट्रविरोधी संगठनों को धन मुहैया कराया और उन्हें अपने पक्ष में किया तथा उनका इस्तेमाल अपने निजी एवं राजनीतिक फायदों के लिए समाज में वर्चस्व बनाने के लिए किया।

न्यायाधीश ने पर्रा की प्राथमिकी रद्द करने की उनके वकील की दलील खारिज करते हुए कहा, ‘‘इस बारे में फैसला करना अभी जल्दबाजी होगी कि एनआईए की जांच वाला और पुलिस की जांच वाला, दोनों मामला एक हैं या नहीं।’’

भाषा सुभाष अनूप

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