‘आतंकवादियों को अब जीवन का मूल्य समझ में आएगा’: पहलगाम हमले में पति को खोने वाली महिला

'आतंकवादियों को अब जीवन का मूल्य समझ में आएगा': पहलगाम हमले में पति को खोने वाली महिला

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  • Publish Date - May 7, 2025 / 01:13 PM IST,
    Updated On - May 7, 2025 / 01:13 PM IST

बालासोर, सात मई (भाषा) जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में अपने पति को खो चुकीं ओडिशा की प्रिया दर्शनी आचार्य ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की गई कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि अब आतंकवादियों को मानव जीवन की कीमत समझ आएगी।

प्रिया के पति प्रशांत सत्पथी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए 26 लोगों में शामिल थे।

उन्होंने बालासोर जिले के ईशानी गांव में स्थित अपने घर में संवाददाताओं से कहा, “मैं बहुत प्रसन्न हूं और सरकार को धन्यवाद देती हूं कि उसने इतना साहसिक कदम उठाया। जब मैं अपने पति के शव के पास थी, तो सेना के जवानों ने मुझे आश्वस्त किया था कि कार्रवाई होगी और आज वह आश्वासन पूरा हुआ।”

उन्होंने कहा, “मैं इसलिए खुश हूं क्योंकि अब आतंकवादियों को समझ आएगा कि एक इंसान की जान कितनी अनमोल होती है। मेरे पति का बलिदान व्यर्थ नहीं गया।”

भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर अड्डे और लश्कर-ए-तैयबा के मुरिदके अड्डे सहित नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए।

ऑपरेशन के नाम की सराहना करते हुए प्रिया ने कहा, “आतंकवादियों ने कई महिलाओं के माथे का सिंदूर मिटा दिया और अब उन्हें सही सजा मिली है।”

उन्होंने कहा, “मेरे पति वापस नहीं आ सकते, लेकिन मैं चाहती हूं कि ऐसा हमला अब दुनिया के किसी भी कोने में कभी न हो।”

प्रिया ने बताया कि उन्हें सरकार की कार्रवाई पर भरोसा था, लेकिन समय को लेकर बेचैनी थी।

उन्होंने कहा, “मैं आश्वस्त थी क्योंकि मैंने सरकार और सैनिकों का आत्मविश्वास देखा था। आज मैं बहुत खुश हूं।”

उन्होंने कहा, “आतंकवाद सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से खत्म होना चाहिए। इस धरती पर लोग बिना डर के जिंदा रह सकें।”

प्रिया ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई अंत तक चलनी चाहिए। मानव जीवन को मूल्यवान और सम्मानित समझा जाना चाहिए। मुझे पता है कि मैं जीवन भर खुश नहीं रह पाऊंगी, लेकिन कोई और महिला मेरी तरह इस स्थिति का सामना न करे।”

भाषा राखी मनीषा

मनीषा