नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) कला जगत की प्रख्यात विद्वान कपिला वत्स्यायन के मूल संग्रह से ली गई विभिन्न प्रकार की वस्त्र कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में 29 दिसंबर से सात जनवरी तक लगने वाली है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि यह संग्रह दर्शाता है कि जीवन भर संचित वस्त्र किस प्रकार स्मृति, पहचान और सांस्कृतिक निरंतरता को अभिव्यक्त करते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि यह संग्रह फिलहाल आईजीएनसीए में रखा गया है तथा प्रदर्शनी में प्रदर्शित किये जाने वाले वस्त्र देश भर की 50 से अधिक विशिष्ट शिल्प परंपराओं का प्रतिनिधित्व करेंगे।
एक बयान के अनुसार प्रदर्शनी का उद्घाटन 29 दिसंबर को अपराह्न साढ़े तीन बजे आईजीएनसीए की चित्रदीर्घा ‘‘दर्शनम प्रथम और द्वितीय’’ में होगा तथा उसका समापन सात जनवरी को होगा।
आईजीएनसीए का कला निधि विभाग 29 दिसंबर डॉ. कपिला वात्स्यायन स्मृति व्याख्यान भी आयोजित कर रहा है, जिसका शीर्षक है “आत्मबोध से विश्वबोध”।
इस अवसर पर गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. भाग्येश झा सभा को संबोधित करेंगे। इस सत्र की अध्यक्षता आईजीएनसीए ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय करेंगे। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी इस स्मृति व्याख्यान में स्वागत भाषण प्रस्तुत करेंगे ।
जोशी ने कहा, ‘अभिव्यक्ति मात्र वस्त्रों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि शोध, संवेदनशीलता और दूरदृष्टि को एक साथ पिरोते हुए एक सूक्ष्म और सुसंगत क्यूरेटोरियल प्रस्तुति है। इसकी समग्रता डॉ. कपिला वात्स्यायन के इस आजीवन विश्वास को दर्शाती है कि कलाओं को उनके संपूर्ण सांस्कृतिक, सौंदर्यपरक और दार्शनिक संदर्भ में समझा जाना चाहिए।’
संरक्षण के पहलू पर प्रकाश डालते हुए, आईजीएनसीए के संरक्षण विभाग के प्रमुख प्रो. अचल पंड्या ने कहा, “वस्त्र विरासत का संरक्षण तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब संग्रह डॉ. कपिला वात्स्यायन जैसी प्रख्यात बुद्धिजीवी का हो।”
भाषा राजकुमार माधव
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