कोलकाता, 16 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के दो शिक्षक संघों ने मंगलवार को कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति किसी नेता के बजाय कोई शिक्षाविद् होना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा पारित उन तीन संशोधन विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है जिनमें राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है। इसके परिणामस्वरूप मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुसार राज्यपाल सी वी आनंद बोस पहले की तरह कुलाधिपति के तौर पर अपने दायित्व निभाते रहेंगे।
पश्चिम बंगाल कॉलेज एवं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डब्ल्यूबीसीयूटीए) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी सुभोदय दासगुप्ता ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि किसी विश्वविद्यालय का कुलाधिपति कोई प्रतिष्ठित शिक्षाविद् होना चाहिए, कोई और नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को कुलाधिपति बनाए जाने वाले विधेयक को देश की राष्ट्रपति भले ही अस्वीकार कर दें, हमारा रुख नहीं बदलेगा। विश्वविद्यालय का कुलाधिपति न तो राज्यपाल और न ही मुख्यमंत्री को होना चाहिए। यह पद किसी प्रख्यात शिक्षाविद् के पास होना चाहिए।’’
यादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेयूटीए) ने भी डब्ल्यूबीसीयूटीए की बात से सहमति जताते हुए कहा कि कुलाधिपति हमेशा किसी शिक्षाविद् को होना चाहिए।
जेयूटीए के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि कुलाधिपति कोई शिक्षाविद् होना चाहिए, न कि कोई नेता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुलाधिपति को विश्वविद्यालय के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।’’
भाषा सिम्मी शोभना
शोभना