अदालत ने विप्रो को नौकरी से निकाले गए कर्मचारी को दो लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया

अदालत ने विप्रो को नौकरी से निकाले गए कर्मचारी को दो लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया

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  • Publish Date - July 18, 2025 / 12:57 AM IST,
    Updated On - July 18, 2025 / 12:57 AM IST

नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने विप्रो लिमिटेड को निर्देश दिया है कि वह बर्खास्तगी पत्र में अपमानजनक टिप्पणी करके बर्खास्त किए गए पूर्व कर्मचारी को दो लाख रुपये का मुआवजा दे।

न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने 14 जुलाई को कर्मचारी के पेशेवर चरित्र पर की गई विवादास्पद टिप्पणियों को हटा दिया और कंपनी को उन्हें नया बर्खास्तगी पत्र जारी करने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि बर्खास्तगी पत्र में अपमानजनक भाषा है और इससे वादी के भविष्य के रोजगार और पेशेवर सम्मान पर सीधा एवं हानिकारक प्रभाव भी पड़ता है।

इसने कहा कि पत्र-व्यवहार के लहजे से यह स्पष्ट रूप से प्रकट होता है कि प्रशासनिक औपचारिकता की आड़ में ‘‘चरित्र हनन’’ करने का इरादा था, जिससे वादी की प्रतिष्ठा को और अधिक नुकसान पहुंचा।

पूर्व कर्मचारी ने कंपनी से दो करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा था।

विप्रो के वकील ने दलील दी थी कि वादी के व्यवहार से उनके पेशेवर प्रदर्शन में सुधार करने में रुचि की कमी झलकती है, जिसके कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।

भाषा देवेंद्र शफीक

शफीक