न्यायालय ने प्रोफेसर महमूदाबाद के खिलाफ मामले में एसआईटी जांच की दिशा पर सवाल उठाए

न्यायालय ने प्रोफेसर महमूदाबाद के खिलाफ मामले में एसआईटी जांच की दिशा पर सवाल उठाए

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  • Publish Date - July 16, 2025 / 04:25 PM IST,
    Updated On - July 16, 2025 / 04:25 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोप में अशोका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज मामले में बुधवार को हरियाणा एसआईटी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘‘यह गलत दिशा में जा रही है।’’

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की अगुवाई वाले हरियाणा के विशेष जांच दल (एसआईटी) से कहा कि वह अली खान महमूदाबाद के खिलाफ उनके विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज दो प्राथमिकियों तक ही सीमित रहे और यह देखे कि क्या कोई अपराध हुआ है और चार हफ्तों में अपनी रिपोर्ट पेश करे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि एसआईटी खुद को गलत दिशा में क्यों ले जा रही है। उनसे पोस्ट की विषयवस्तु की पड़ताल करने की अपेक्षा की जाती है।’’

पीठ ने कहा कि वह जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, लेकिन उसने मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किए जाने पर सवाल उठाया।

पीठ ने एसआईटी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से कहा, ‘‘एसआईटी यह कह सकती है कि प्राथमिकी की विषय-वस्तु किसी अपराध का खुलासा नहीं करती है, इस मामले को बंद किया जा सकता है। वह हमेशा कह सकती है कि जांच के दौरान उन्हें कुछ ऐसी सामग्री मिली है जो अलग मामला बनाती है और कानून अपना काम करेगा।’’

महमूदाबाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत द्वारा एसआईटी को प्राथमिकी की विषय वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिए जाने के बावजूद, उसने प्रोफेसर से जब्त किए गए उपकरणों को जांच के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला भेज दिया।

अदालत ने कहा कि चूंकि महमूदाबाद जांच में सहयोग कर रहे थे, इसलिए उन्हें दोबारा तलब करने की कोई जरूरत नहीं थी।

शीर्ष अदालत ने 21 मई को प्रोफेसर की जमानत की शर्तों में भी ढील दी और उन्हें अदालत में विचाराधीन मामले को छोड़कर, पोस्ट, लेख लिखने और कोई भी राय व्यक्त करने की अनुमति दी थी।

न्यायालय ने 28 मई को कहा कि प्रोफेसर के वाक् एवं अभिव्यक्ति के अधिकार में कोई अवरोध नहीं आया। हालांकि, न्यायालय ने उनके खिलाफ मामलों को लेकर उनके कुछ भी ऑनलाइन साझा करने पर रोक लगा दी।

उच्चतम न्यायालय ने उन्हें 21 मई को अंतरिम जमानत दी, लेकिन उनके खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

उसने तीन सदस्यीय एसआईटी को महमूदाबाद के खिलाफ प्राथमिकियों की पड़ताल करने का निर्देश दिया।

हरियाणा पुलिस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर महमूदाबाद के पोस्ट को लेकर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उनके पोस्ट ने देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डाला।

सोनीपत जिले में राई पुलिस ने दो प्राथमिकियां दर्ज की थीं। एक प्राथमिकी हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत के आधार पर और दूसरी प्राथमिकी एक ग्राम सरपंच की शिकायत पर दर्ज की गई थी।

भाषा वैभव सुभाष

सुभाष