रायचूर (कर्नाटक), 11 सितंबर (भाषा) रायचूर के येरमारस गांव के एक दृष्टिबाधित युवक रंगप्पा की जिंदगी महात्मा गांधी चौक पर आकर हमेशा के लिए बदल गई, जहां मिले एक व्यक्ति से उन्होंने शादी की इच्छा जताई और जल्द ही उन्हें एक जीवनसंगिनी मिल गयी। रंगप्पा विवाह के बंधन में बंध चुके है और अब वह अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं।
रंगप्पा ने बुधवार रात अपने शादी समारोह के दौरान पत्रकारों को बताया, ‘‘कुछ समय पहले, मैं महात्मा गांधी चौक पर सड़क पार करने के लिए खड़ा था। मैंने एक व्यक्ति से सड़क पार करने में मदद मांगी। उनका नाम मल्लू था। मैंने उनसे अनुरोध किया कि क्या वह किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जो मेरे लिए एक जीवनसाथी ढूंढ दे। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वह पूरी कोशिश करेंगे।’’
मल्लू ने रंगप्पा का परिचय नागराज से कराया, जिसने न केवल रंगप्पा के काम के बारे में पूछताछ की, बल्कि उनके लिए दुल्हन ढूंढने में भी अगुवाई की।
रंगप्पा को कोलार जिले के मालूर तालुक के डोड्डाकन्नहल्ली की नारायणम्मा नाम की एक युवती मिल गई, जो खुद भी दृष्टिबाधित है।
रंगप्पा ने हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘नागराज ने मेरी नौकरी के बारे में पूछताछ की और नारायणम्मा के साथ मेरी शादी तय की। यह शादी छह सितंबर को डोड्डाकन्नहल्ली में संपन्न हुई। रायचूर नगर निगम के सदस्य नरसा रेड्डी ने पूरे कार्यक्रम का आयोजन किया।’’
यह शादी कोई छोटी उपलब्धि नहीं थी। माता-पिता या भाई-बहनों का सहारा न होने के कारण, रंगप्पा अपने रिश्तेदारों और गांव वालों पर निर्भर थे।
इस जोड़े की शादी के बाद बुधवार को येरमारस में एक समारोह आयोजित किया गया, जहां नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए ग्रामीण एकत्र हुए।
भाषा
शफीक अविनाश
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