इंडिगो संकट का असर जूनियर हॉकी विश्व कप के प्रशंसकों और परिवारों के यात्रा कार्यक्रम पर भी
इंडिगो संकट का असर जूनियर हॉकी विश्व कप के प्रशंसकों और परिवारों के यात्रा कार्यक्रम पर भी
(मोना पार्थसारथी)
चेन्नई, आठ दिसंबर (भाषा) आस्ट्रेलियाई हॉकी खिलाड़ी फाही नोह को जूनियर विश्व कप खेलते देखने ब्रिसबेन से भारत आयीं उनकी मां केट बरसों से ताजमहल का दीदार करना चाहती थीं लेकिन अब इसके लिये उन्हें दोबारा भारत आना होगा।
केट की ही तरह दुनिया के अलग-अलग कोनों से यहां पहुंचे कई परिवारों और हॉकी प्रशंसकों का यात्रा का पूरा कार्यक्रम इंडिगो संकट के कारण अस्त-व्यस्त हो गया है।
मेयर राधाकृष्णन हॉकी स्टेडियम के बाहर बस का इंतजार कर रही केट ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘मैं यहां पहली बार आई हूं और भारत में हमारा स्वागत बहुत गर्मजोशी से हुआ है। हम यहां से आगरा में ताज महल देखने जाना चाहते थे लेकिन अब विमान की टिकट लेने से डर लग रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘टूर्नामेंट के बीच विश्राम के दिनों में हमारे साथ आस्ट्रेलिया से आया एक खिलाड़ी का परिवार वहां गया था लेकिन इंडिगो की उड़ान रद्द होने के कारण रात भर वहीं फंस गया। हमें भी अपनी यात्रा का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा हालांकि भारत आने से पहले मैं ताजमहल जाने का सपना लेकर आई थी।’’
चेन्नई और मदुरै में 28 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच हो रहे जूनियर हॉकी विश्व कप में पहली बार 24 टीम भाग ले रही हैं। अधिकांश खिलाड़ियों के साथ उनके माता पिता, भाई बहन, दोस्तों की यह पहली भारत यात्रा है। कई अप्रवासी भारतीय भी यहां भारतीय हॉकी टीम की हौसलाअफजाई के लिये आये हैं। लेकिन उड़ानों में विलंब और उड़ानें रद्द होने से उनकी यात्रा के कार्यक्रम बाधित हो गए हैं ।
अपने बेटे के लिये बेल्जियम से पूरे परिवार के साथ आई लौरा ने कहा कि अब वह सिर्फ सड़क यात्रा ही करने वाले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस खूबसूरत देश में आकर बहुत अच्छा लग रहा है। हम मुन्नार और मदुरै गए थे और अब सड़क मार्ग से पुडुचेरी और महाबलीपुरम ही जायेंगे जो पास में हैं। हमने पहले इंडिगो की उड़ान ली थी लेकिन एक अन्य परिवार जो बाद में गया, वह परेशान हो गया और रेल से वापस आना पड़ा। इसलिये हम अब भारत में किसी शहर के लिये उड़ान नहीं लेंगे और सड़क मार्ग से घूमने के बाद सीधे ब्रसेल्स लौट जायेंगे।’’
कीनिया से आये 87 साल के चार बार के हॉकी ओलंपियन अवतार सिंह सोहल को इस बार यात्रा ने काफी परेशान किया। चार दिसंबर को बेल्जियम के खिलाफ भारत के क्वार्टर फाइनल मुकाबले से ठीक पहले यहां पहुंचने से पूर्व उन्होंने चंडीगढ हवाई अड्डे पर 12 घंटे बिताये।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी इंडिगो की उड़ान बारह घंटे देर से उड़ी। हम सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक हवाई अड्डे पर थे। हमें बस बहाने सुनने को मिलते रहे कि अभी विमान या पायलट नहीं आया है। हमें पता ही नहीं चल रहा था कि आखिर हो क्या रहा है।’’
उनके साथ इंग्लिश हॉकी संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष 85 वर्ष के तरलोक सिंह मंडेर भी लंदन से आये हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह भयावह अनुभव था। बस उड़ान का समय बदलता रहा। कभी कहते कि दोपहर बारह बजे जायेगी तो कभी चार बजे और आखिर में शाम साढे सात बजे रवाना हुए। खाने के लिये सैंडविच दिये जो बहुत खराब थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी वापसी की उड़ान भी 11 दिसंबर को इंडिगो की ही है लेकिन हम दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं।’’
लंदन से ही आये जुझार सिंह पलाहा (86) ने कहा कि इस संकट ने उनकी यात्रा के रंग में भंग डाल दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस यात्रा को लेकर हम काफी उत्साहित थे क्योंकि हॉकी हमारा पहला प्यार है लेकिन इस बार काफी परेशानी उठानी पड़ी । हम वापस लौटने की भी चिंता है क्योंकि इस उम्र में रेल या सड़क मार्ग से लंबी यात्रा नहीं कर सकते।’’
आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी रोजर लैकलान के पिता जैसन श्रीलंका में चक्रवात के कारण चेन्नई में हुई भारी बारिश से काफी मुसीबतें झेल चुके हैं और अब आगे उनकी कोई और मुसीबत मोल लेने की इच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम रिकी पोंटिंग और डेविड बून के शहर होबर्ट से आये हैं। हम यहां पहुंचे तो श्रीलंका में चक्रवात के कारण काफी बारिश हो रही थी। हम जैसे तैसे स्टेडियम पहुंचते थे। अब धूप खिली है तो अच्छा लग रहा है लेकिन अब कोई यात्रा नहीं करेंगे। बस खाना है और तैराकी का मजा लेना है। मसाला डोसा, मसाला चाय और यहां मिलने वाली मसालेदार करी खाकर बाकी दिन बिताने हैं।’’
इस बीच महीनों पहले हवाई टिकट बुक कराने वाले बेंगलुरू के एक हॉकी प्रेमी ने कोई जोखिम लेने के बजाय इंडिगो द्वारा दिया गया रिफंड का विकल्प लेकर कार से यात्रा करना मुनासिब समझा।
बेंगलुरू के विनोद चिनप्पा ने कहा, ‘‘उड़ानों को लेकर अनिश्चितता थी और ट्रेनों में जगह नहीं थी तो हम कार लेकर छह घंटे में पहुंच गए। हमें हर हालत में जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल देखना था।’’
हॉकी इंडिया लीग की एक फ्रेंचाइजी के वरिष्ठ अधिकारी को चेन्नई की उड़ान लेने के लिये पटना हवाई अड्डे पर आठ घंटे इंतजार करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत और बेल्जियम का क्वार्टर फाइनल हर हालत में देखना चाहता था। मैने इंतजार किया और हवाई अड्डे पर लाउंज में बैठकर ‘फैमिली मैन’ सीरीज के सारे एपिसोड देख डाले। और क्या करता।’’
टूर्नामेंट का फाइनल दस दिसंबर को है लिहाजा प्रशंसकों, अधिकारियों, परिवारों और पत्रकारों की नजरें बढे हुए हवाई किरायों और ट्रेनों में सीट की उपलब्धता पर लगी हुई है। अगर हालात तेजी से नहीं सुधरे तो घर लौटना उतना ही मुश्किल होगा, जितना कि मैदान पर मैच जीतना।
भाषा मोना
सिम्मी गोला
गोला

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