नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह राजस्थान की जोजरी नदी में प्रदूषण से संबंधित स्वतः संज्ञान मामले में नौ अक्टूबर को आदेश पारित करेगा।
‘राजस्थान की जोजरी नदी में प्रदूषण से 20 लाख लोगों की जान जोखिम में’ शीर्षक वाला यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
पीठ ने राजस्थान सरकार की ओर से पेश हुए वकील से कहा, ‘‘हम दशहरे की छुट्टियों के बाद इस मामले में आदेश देंगे।’’
इसके बाद पीठ ने मामले को नौ अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
जब राज्य सरकार के वकील ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भी नदी में अपशिष्टों के निर्वहन को लेकर कुछ आदेश पारित किए हैं, तो पीठ ने कहा, ‘‘हमें इसकी जानकारी है।’’
इसके बाद पीठ ने राज्य सरकार के वकील को अनुमति दी कि यदि वह चाहें तो इस मामले में एक नोट दाखिल कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने 16 सितंबर को नदी में औद्योगिक अपशिष्ट छोड़े जाने के मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और कहा था कि इससे सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं।
न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए कहा था कि मुख्य रूप से कपड़ा और अन्य कारखानों से निकलने वाले औद्योगिक अपशिष्ट को नदी में छोड़े जाने से सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं।
पीठ ने कहा था कि इसके कारण वहां का पेयजल मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए पीने योग्य नहीं रह गया है और इससे वहां के स्वास्थ्य और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है।
शीर्ष अदालत ने 16 सितंबर को कहा था, ‘‘यह न्यायालय राजस्थान की मरुधरा जोजरी नदी से संबंधित मामले का स्वतः संज्ञान ले रहा है, जहां मुख्य रूप से कपड़ा और टाइल कारखानों से निकलने वाला बहुत सारा औद्योगिक अपशिष्ट छोड़ा जा रहा है, जिससे सैकड़ों गांवों के लोगों एवं मवेशियों के लिए पीने योग्य पानी नहीं रह गया है।’’
इसने कहा था कि मामले को आगे की कार्रवाई के संबंध में उचित आदेश पारित करने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के समक्ष रखा जाए।
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