न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने सर्दी की छुट्टियों के दौरान पहली बार सुनवाई की

न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने सर्दी की छुट्टियों के दौरान पहली बार सुनवाई की

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  • Publish Date - December 31, 2025 / 06:57 PM IST,
    Updated On - December 31, 2025 / 06:57 PM IST

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सर्दी की छुट्टियों के दौरान पहली बार अवकाशकालीन अदालतों का आयोजन किया। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने भी इस अवधि में जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े दो जरूरी मामलों और उन मामलों की सुनवाई की, जिनमें तुरंत न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत थी।

उच्चतम न्यायालय गर्मियों की लंबी छुट्टियों के दौरान अवकाशकालीन पीठों का गठन करता है, जिसे अब आंशिक अदालती कार्य दिवसों के रूप में नया नाम दिया गया है, लेकिन इस साल पहली बार ऐसा हुआ जब उच्चतम न्यायालय में सर्दियों की कम छुट्टियों में भी अवकाशकालीन पीठों ने सुनवाई की।

उच्चतम न्यायालय क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के कारण 22 दिसंबर से दो जनवरी, 2026 तक बंद है। यह पांच जनवरी को फिर से खुलेगा।

चौबीस नवंबर को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 19 दिसंबर को यह स्पष्ट कर दिया था कि उनके सहित अवकाश पीठें शीतकालीन अवकाश के दौरान अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई के लिए बैठेंगी।

शीतकालीन अवकाश के पहले दिन, 22 दिसंबर को प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने कई फौजदारी और दीवानी मामलों सहित 17 अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई की।

उच्चतम न्यायालय के एक बयान में कहा गया है कि अवकाश अवधि के दौरान तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता वाले महत्वपूर्ण मामलों पर समय पर विचार सुनिश्चित करने के लिए विशेष सुनवाई की गईं।

इसी तरह, 29 दिसंबर को, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की अवकाशकालीन पीठ ने अरावली की नयी परिभाषा पर एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई की और इन पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार करने वाले 20 नवंबर के अपने निर्देशों को स्थगित कर दिया।

अरावली की नयी परिभाषा को लेकर विभिन्न वर्गों के बीच काफी रोष पैदा हो गया था।

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी और कहा कि उन्हें हिरासत से रिहा नहीं किया जाएगा।

साल के आखिरी दिन, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने दो मामलों की ऑनलाइन सुनवाई की, जिनमें से एक उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अवैध गिरफ्तारी का आरोप लगाने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका और दूसरा संपत्ति विवाद से संबंधित एक दीवानी मामला था।

शीर्ष अदालत ने 29 दिसंबर को एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की, जिसमें सभी मामलों में दलीलें पेश करने और उसके समक्ष पेश होने वाले वकीलों द्वारा लिखित नोट्स प्रस्तुत करने के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश