25 Books Banned: इन 25 किताबों पर लगा प्रतिबंध! भड़क उठे मीरवाइज उमर फारूक, कह दी बड़ी बात

25 books banned in jammu and kashmir: मीरवाइज उमर फारूक ने कहा, ''विद्वानों और प्रतिष्ठित इतिहासकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने से न तो ऐतिहासिक तथ्यों को मिटाया जा सकता है और न ही कश्मीर के लोगों की जीयी हुई स्मृतियों को।''

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  • Publish Date - August 7, 2025 / 08:40 PM IST,
    Updated On - August 7, 2025 / 08:44 PM IST

25 books banned in jammu and kashmir, image source: ibc24

HIGHLIGHTS
  • अलगाववाद, कट्टरपंथ और आतंकवाद का महिमामंडन करती है किताबें
  • विद्वानों और प्रतिष्ठित इतिहासकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकों पर प्रतिबंध
  • जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नई बीएनएस 2023 का दिया हवाला

जम्मू-कश्मीर: 25 books banned in jammu and kashmir, जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने नई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 का हवाला देते हुए 25 किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है। किताबों पर बैन लगाने से पीडीपी और हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने तीखी आलोचना की है।

मीरवाइज उमर फारूक ने कहा, ”विद्वानों और प्रतिष्ठित इतिहासकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने से न तो ऐतिहासिक तथ्यों को मिटाया जा सकता है और न ही कश्मीर के लोगों की जीयी हुई स्मृतियों को।”

उन्होंने कहा, ”यह कदम केवल उन लोगों की असुरक्षा की भावना और सीमित सोच को उजागर करता है जो ऐसे तानाशाही निर्णयों के पीछे हैं। यह विडंबना ही है कि एक ओर सरकार साहित्यिक प्रतिबद्धता दिखाने के लिए पुस्तक महोत्सव का आयोजन कर रही है और दूसरी ओर पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाकर उसी प्रतिबद्धता को अस्वीकृत कर रही है।”

इधर पीडीपी नेता नईम अख्तर ने भी लेखकों की किताबों पर प्रतिबंध लगाने के औचित्य पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि, “प्रतिबंधित किताबों में एजी नूरानी, अनुराधा भसीन, डेविड देवदास, अरुंधति रॉय की किताबें भी शामिल हैं।”

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किताबों को बैन करने की वजह क्या ?

वहीं इस मामले में जम्मू कश्मीर प्रशासन का कहना है कि ये किताबें अलगाववाद, कट्टरपंथ और आतंकवाद का महिमामंडन करती है। यह कार्रवाई वैधानिक आदेश संख्या 203 के माध्यम से की गई है, जिसमें BNS की धारा 98 का हवाला दिया गया है। इस धारा के तहत सरकार को उन प्रकाशनों को जब्त करने की अनुमति है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक माने जाते हैं। प्रशासन के द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि विश्वसनीय जांच और खुफिया सूचनाओं से पता चला है कि कुछ साहित्य का व्यवस्थित प्रसार जम्मू-कश्मीर में युवाओं के कट्टरपंथ और हिंसा में शामिल होने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण रहा है।

वहीं आपको बता दें कि जिन लेखकों की पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाया गया और उन्हें जब्त करने का आदेश दिया गया है, उनमें अरुंधति रॉय, ए जी नूरानी, पत्रकार अनुराधा भसीन और डेविड देवदास के अलावा कई विदेशी लेखक की पुस्तकें भी शामिल हैं।

नोटिफिकेशन के मुताबिक, प्रतिबंधित किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया, आतंकवाद को महिमामंडित किया, सुरक्षा बलों को बदनाम किया, और धार्मिक कट्टरता व अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि यह सामग्री असंतोष, पीड़ित मानसिकता और आतंकवादियों को हीरो के रूप में प्रस्तुत करने की संस्कृति को जन्म देती है, जिसका युवाओं की सोच पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

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कश्मीर में प्रतिबंधित 25 किताबों के नाम

1. कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन (Human Rights Violations in Kashmir)
लेखक: पिओत्र बाल्सेरोविच और अग्निएश्का कुशेव्स्का
प्रकाशक: रूटलेज / मनोहर

2. कश्मीरी की स्वतंत्रता की लड़ाई (Kashmiri’s Fight for Freedom)
लेखक: मोहम्मद यूसुफ सराफ
प्रकाशक: फिरोज संस, पाकिस्तान

3. कश्मीर का उपनिवेशीकरण (Colonizing Kashmir)
लेखक: हाफसा कंजवाल

4. कश्मीर की राजनीति और जनमत संग्रह (Kashmir Politics and Plebiscite)
लेखक: डॉ. अब्दुल जब्बार
प्रकाशक: गुलशन बुक्स, कश्मीर

5. क्या तुम्हें कुंनन पोषपोरा याद है? (Do You Remember Kunan Poshpora?)
लेखक: एसर बटूल व अन्य
प्रकाशक: जुबान बुक्स

6. मुजाहिद की अज़ान (Mujahid ki Azaan)
संपादक: मौलाना मोहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी
प्रकाशक: मरकज़ी मकतबा इस्लामी पब्लिशर्स, दिल्ली

7. अल जिहाद फिल इस्लाम (Al Jihadul fil Islam)
लेखक: मौलाना मौदूदी
प्रकाशक: दारुल मुसन्निफीन, दिल्ली

8. स्वतंत्र कश्मीर (Independent Kashmir)
लेखक: क्रिस्टोफ़र स्नेडन
प्रकाशक: मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी प्रेस / सैंक्टम बुक्स, दिल्ली

9. कश्मीर में क़ब्ज़े का प्रतिरोध (Resisting Occupation in Kashmir)
लेखक: हेले दुशिंस्की, अतर ज़िया, मोना भान, सिंथिया महमूद
प्रकाशक: यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया प्रेस

10. लोकतंत्र और राष्ट्र के बीच: कश्मीर में लैंगिकता और सैन्यीकरण (Between Democracy and Nation: Gender and Militarization in Kashmir)
लेखक: सीमा काज़ी
प्रकाशक: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस

11. विवादित ज़मीनें (Contested Lands)
लेखक: सुमंत्र बोस

12. भविष्य की तलाश में: कश्मीर की कहानी (In Search of a Future: The Story of Kashmir)
लेखक: डेविड देवदास

13. कश्मीर में संघर्ष (Kashmir in Conflict)
लेखक: विक्टोरिया स्कोफील्ड

14. कश्मीर विवाद (1947–2012) (The Kashmir Dispute (1947–2012))
लेखक: ए. जी. नूरानी

15. चौराहे पर कश्मीर (Kashmir at the Crossroads)
लेखक: सुमंत्र बोस

16. विखंडित राज्य (A Dismantled State)
लेखक: अनुराधा भसीन
प्रकाशक: हार्पर कॉलिन्स इंडिया

17. गायब होने का प्रतिरोध (Resisting Disappearance)
लेखक: अतर ज़िया
प्रकाशक: जुबान बुक्स

18. आतंकवाद से सामना (Confronting Terrorism)
संपादक: मारूफ़ रज़ा और स्टीफन कोहेन
प्रकाशक: पेंगुइन इंडिया

19. कैद में आज़ादी (Freedom in Captivity)
लेखक: राधिका गुप्ता
प्रकाशक: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस

20. कश्मीर: आज़ादी का पक्ष (Kashmir: The Case for Freedom)
लेखक: तारिक अली, हिलाल भट, अंगना पी. चटर्जी, पंकज मिश्रा, अरुंधति रॉय
प्रकाशक: वर्सो बुक्स

21. आज़ादी (Azadi)
लेखक: अरुंधति रॉय
प्रकाशक: पेंगुइन इंडिया

22. अमेरिका और कश्मीर (USA and Kashmir)
लेखक: डॉ. शमशाद शान
प्रकाशक: गुलशन बुक्स

23. कश्मीर में क़ानून और संघर्ष समाधान (Law & Conflict Resolution in Kashmir)
लेखक: पिओत्र बाल्सेरोविच और अग्निएश्का कुशेव्स्का
प्रकाशक: रूटलेज / मनोहर

24. तारीख़-ए-सियासत कश्मीर (Tarikh-i-Siyasat Kashmir)
लेखक: डॉ. आफ़ाक़
प्रकाशक: कारवां-ए-तहक़ीक़-ओ-सकाफ़त, कश्मीर

25. कश्मीर और दक्षिण एशिया का भविष्य (Kashmir & the Future of South Asia)
संपादक: सुगता बोस और आयशा जलाल
प्रकाशक: रूटलेज / मनोहर

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जम्मू-कश्मीर में किन किताबों पर प्रतिबंध लगाया गया है और क्यों?

▶ उत्तर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अरुंधति रॉय, ए.जी. नूरानी, अनुराधा भसीन, डेविड देवदास जैसे लेखकों की 25 किताबों पर प्रतिबंध लगाया है। प्रशासन का कहना है कि ये किताबें अलगाववाद, कट्टरपंथ और आतंकवाद का महिमामंडन करती हैं और युवाओं को हिंसा के लिए प्रेरित करती हैं।

यह प्रतिबंध किस कानून के तहत लगाया गया है?

▶ उत्तर: यह कार्रवाई नई भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 98 के तहत की गई है। इसके अंतर्गत सरकार को ऐसी सामग्री जब्त करने का अधिकार है, जो भारत की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक मानी जाती है।

इस प्रतिबंध की किसने आलोचना की है और क्यों?

▶ उत्तर: इस फैसले की हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक और PDP नेता नईम अख्तर ने कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह बौद्धिक सेंसरशिप है, और इससे इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया है।

प्रशासन का पक्ष क्या है इस कार्रवाई को लेकर?

▶ उत्तर: प्रशासन का कहना है कि विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं और जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि इन किताबों का सुनियोजित प्रसार युवाओं को कट्टरपंथ और हिंसक विचारधारा की ओर प्रेरित करता है। ये किताबें सुरक्षा बलों की छवि खराब करती हैं और आतंकवादियों को हीरो की तरह प्रस्तुत करती हैं।