गृहणियों के योगदान को मान्यता देने का समय आ गया है: दिल्ली उच्च न्यायालय

गृहणियों के योगदान को मान्यता देने का समय आ गया है: दिल्ली उच्च न्यायालय

गृहणियों के योगदान को मान्यता देने का समय आ गया है: दिल्ली उच्च न्यायालय
Modified Date: September 12, 2025 / 09:54 pm IST
Published Date: September 12, 2025 9:54 pm IST

नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैधानिक तंत्र के अभाव को रेखांकित करते हुए कहा है कि संपत्ति के मालिकाना हक के मामले में गृहिणियों की भूमिका को मान्यता देने का ‘समय आ गया है’, जिनका योगदान ‘छिपा है और जिसे कम करके आंका जाता रहा है’।

न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने 11 सितंबर को कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि अब समय आ गया है कि ऐसे योगदानों को सार्थक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए क्योंकि ये योगदान छिपे रहे हैं जिसे कम करके आंका जाता है। हम इस तथ्य पर भी गौर करते हैं कि वर्तमान में, स्वामित्व अधिकारों को लेकर कोई निर्धारण करने या यहां तक कि इन योगदानों के मूल्य का आकलन करने के उद्देश्य से गृहिणियों के ऐसे योगदानों को मान्यता देने का कोई वैधानिक आधार मौजूद नहीं है।’’

यह आदेश एक महिला की उस याचिका पर आया जिसमें पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। आदेश में महिला के उस मुकदमे को खारिज कर दिया गया था जिसमें यह घोषित करने की मांग की गई थी कि मुकदमे से संबंधित संपत्ति पर उसका समान और वैध अधिकार है।

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यद्यपि उच्च न्यायालय ने महिला की याचिका को खारिज करने के पारिवारिक न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, तथापि उसने सुझाव दिया कि समय रहते विधानमंडल यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर सकता है कि गृहणियों का योगदान सार्थक रूप से प्रतिबिंबित हो तथा उनके संपत्ति अधिकारों का निर्धारण करने में भी इन उपाय का उपयोग किया जाए।

महिला ने संपत्ति में आधे की हिस्सेदारी मांगी है। महिला ने दलील दी कि गृहिणी के रूप में पत्नी की भूमिका पति को लाभकारी रोजगार करने तथा पारिवारिक संपत्ति अर्जित करने में प्रत्यक्ष योगदान करने में सक्षम बनाती है, इसलिए विवाह के दौरान अर्जित कोई भी संपत्ति, चाहे वह पति या पत्नी के नाम पर हो, उनके संयुक्त प्रयासों का परिणाम मानी जानी चाहिए।

भाषा संतोष अविनाश

अविनाश


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