बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीट जीतकर रचा इतिहास, भाजपा दहाई का आंकड़ा नहीं कर पाई पार

बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीट जीतकर रचा इतिहास, भाजपा दहाई का आंकड़ा नहीं कर पाई पार

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  • Publish Date - May 3, 2021 / 11:14 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

कोलकाता, तीन मई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है और लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता अपने पास बरकरार रखी है। निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित अंतिम परिणाम के अनुसार पार्टी को 292 विधानसभा सीटों में से 213 पर जीत हासिल हुई है जो बहुमत के जादुई आंकड़े से भी कहीं अधिक है।

वहीं, इस विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक देने वाली भाजपा 77 सीटों पर विजयी रही है।

इसके साथ ही राष्ट्रीय सेकुलर मजलिस पार्टी के चिह्न पर चुनाव लड़ने वाली आईएसएफ को एक सीट मिली है तथा एक निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत दर्ज करने में सफल रहा है।

तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार 2016 के विधानसभा चुनाव से भी बेहतर रहा जब इसे 211 सीट मिली थीं।

यद्यपि भाजपा राज्य की सत्ता से ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को उखाड़ फेंकने में सफल नहीं हो पाई, लेकिन यह पहली बार है जब वह बंगाल में मुख्य विपक्षी दल बन गई है। भाजपा को 2016 के विधानसभा चुनाव में महज तीन सीट मिली थीं।

राज्य में दशकों तक शासन करनेवाले वाम मोर्चा और कांग्रेस का इस बार खाता भी नहीं खुला है तथा आईएसएफ के साथ उनके गठबंधन को आठ प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं।

निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने कहा कि रविवार को सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना सोमवार रात लगभग 1.55 बजे पूरी हुई।

दो निर्वाचन क्षेत्रों-जांगीपुर और समसरेगंज में प्रत्याशियों के कोविड-19 की चपेट में आने के बाद मतदान टाल दिया गया था। इस तरह राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा की 292 सीटों पर मतदान हुआ।

अपनी पार्टी की जीत से गदगद बनर्जी को हालांकि नंदीग्राम में खुद हार का सामना करना पड़ा। वह पूर्व में अपने विश्वासपात्र रहे और इस बार भाजपा में शामिल हुए कद्दावर नेता शुभेन्दु अधिकारी से 1,956 मतों के अंतर से हार गईं।

अधिकारी को छोड़कर, तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए राजीब बनर्जी, रुद्रनील घोष, बैशाली डालमिया, शीलभद्र दत्ता और सब्यसाची दत्ता को हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार और निसित प्रामाणिक क्रमश: शांतिपुर और दिनहाता से जीतने में सफल रहे, लेकिन लॉकेट चटर्जी, स्वपन दासगुप्ता और बाबुल सुप्रियो जैसे नेता विजयी नहीं हो पाए।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव