उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ में लापता लोगों के परिजनों के लिए दो जर्मन शेफर्ड बने मददगार

उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ में लापता लोगों के परिजनों के लिए दो जर्मन शेफर्ड बने मददगार

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  • Publish Date - August 15, 2025 / 07:23 AM IST,
    Updated On - August 15, 2025 / 07:23 AM IST

उत्तरकाशी, 15 अगस्त (भाषा) उत्तरकाशी जिले के धराली गांव के लगभग आधे हिस्से को तबाह करने वाली विनाशकारी बाढ़ में व्यस्त बाजार क्षेत्र में इमारतें ध्वस्त होने और लोगों के बह जाने के बाद अब ‘फैंटम’ और ‘कोको’ उन लोगों के लिए आशा की किरण बनकर उभरे हैं जो आपदा के बाद लापता हुए अपने रिश्तेदारों के बारे में किसी सुराग का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

भारी बारिश, ठंडी हवाओं, खतरनाक रास्तों, नदियों और नालों को दरकिनार करते हुए, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के दो प्रशिक्षित जर्मन शेफर्ड कुत्ते उस इलाके में दिन भर जीवन की तलाश में जुटे रहते हैं जहां 60 से ज़्यादा लोग अब भी लापता हैं और संभवतः मलबे में दबे हुए हैं।

अपने अनुभव का पूरा उपयोग करते हुए, आठ वर्षीय फैंटम मलबे के ढेर के नीचे लोगों की तलाश कर रहा है।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि इलाके में गहन तलाशी अभियान अब भी जारी है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के सहायक कमांडेंट आर एस धपोला ने बताया कि मलबे में दबे लोगों का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह इलेक्ट्रिकल डिटेक्टर 40 मीटर तक दबे किसी भी तत्व की जानकारी देता है।

रडार से संकेत मिला है कि मलबे के नीचे लगभग आठ से दस फुट नीचे लोग दबे हो सकते हैं। तबाही के बाद जमे कई फुट ऊंचे मलबे को हटाना एक चुनौती बन गया है।

धपोला ने बताया कि कुछ जगहों पर जीपीआर से प्राप्त संकेतों के आधार पर खुदाई का काम चल रहा है।

ज़िला मजिस्ट्रेट प्रशांत आर्य ने बृहस्पतिवार को हर्षिल के उस इलाके का निरीक्षण किया जहां पानी जमा हो गया है। उन्होंने कहा ‘‘फ़िलहाल… कोई खतरा नहीं है।’’

उन्होंने बताया कि पानी के बहाव में बाधा डाल रहे मलबे को हटाने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। दलदली जगह होने के कारण भारी मशीनों की तैनाती संभव नहीं है। इसलिए, प्रशासन स्थानीय संसाधनों और मज़दूरों की मदद से लगातार सफ़ाई का काम कर रहा है।

अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूर्व तैयारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

प्रभावित लोगों के बीच राहत वितरण जारी है। आर्य ने बताया कि गंगोत्री तक सड़क संपर्क बहाल होने में तीन दिन और लगेंगे। उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रा अभी बंद रहेगी।

डबरानी, सोनगढ़, लोहारीनाग, हर्षिल और धराली में भूस्खलन के कारण पिछले दस दिनों से सड़क बंद है।

भाषा मनीषा वैभव

वैभव