नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा) एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने शनिवार को कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों से रिपोर्टिंग की चुनौतियों पर उसके वेबिनार को अज्ञात लोगों द्वारा लगातार हमलों और व्यवधान डाले जाने का सामना करना पड़ा। साथ ही गिल्ड ने इसकी साइबर अपराध प्रकोष्ठ से जांच कराने की मांग की।
गिल्ड ने इस घटना को स्तब्धकारी बताते हुए कहा कि उसने ‘अनसुनी आवाज : संघर्षरत क्षेत्रों से रिपोर्टिंग’ श्रृंखला के तहत वेबिनार का आयोजन किया था। इसके वक्ताओं में कुछ ऐसे भारतीय पत्रकार शामिल थे, जो नक्सल प्रभावित इलाकों से रिपोर्टिंग करते हैं।
गिल्ड ने कहा कि कार्यक्रम में व्यवधान डालते हुए कुछ लोगों ने सामूहिक बातचीत (ग्रुप चैट) में अश्लील संदेश पोस्ट किये और अश्लील सामग्री तथा गालीगलौच वाले शब्द साझा किये।
गिल्ड ने कहा, ‘‘लिहाजा, अतिथि वक्ताओं को बोलने का मौका दिये बगैर कार्यक्रम समाप्त करना पड़ा।’’
गिल्ड ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार देते हुए इसकी साइबर अपराध प्रकोष्ठ से जांच कराने की मांग की है।
गिल्ड ने कहा, ‘‘वह उन लोगों द्वारा किये गये इस अभूतपूर्व हमले से स्तब्ध और परेशान है, जो स्पष्ट रूप से यह नहीं चाहते हैं कि वक्ताओं को सुना जाए। नक्सल प्रभावित इलाके सरकारी एजेंसियों के अत्याचार के सर्वाधिक भयावह और नृशंस उदाहरण रहे हैं। पिछले कुछ दशकों में वेबिनार के वक्ता मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने में आगे रहे हैं।’’
भाषा सुभाष नीरज
नीरज