अखलाक ‘मॉब लिंचिंग’ मामले में उप्र सरकार की आरोप वापस लेने की याचिका खारिज की

अखलाक 'मॉब लिंचिंग' मामले में उप्र सरकार की आरोप वापस लेने की याचिका खारिज की

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 06:45 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 06:45 PM IST

नोएडा, 23 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के नोएडा में सूरजपुर की एक अदालत ने मंगलवार को राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2015 में मोहम्मद अखलाक की ‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के आरोपियों के खिलाफ आरोप वापस लेने की मांग की गई थी।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सुनवाई प्रतिदिन के आधार पर संचालित की जाए।

अखलाक के परिवार के वकील यूसुफ सैफी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से दायर आवेदन को ‘बेबुनियाद’ बताकर खारिज कर दिया।

उन्होंने बताया कि इस मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी को तय की गई है।

सैफी ने कहा, ‘‘ अदालत ने अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामले में आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप वापस लेने की राज्य सरकार की अर्जी खारिज कर दी है और मामले की सुनवाई में तेजी लाने और रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया है। ’’

इससे पहले, इस मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को होनी थी और बाद में इसे 23 दिसंबर को सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सामाजिक सद्भाव बनाए रखने का हवाला देते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने की अनुमति मांगने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी।

राज्य सरकार और अभियोजन के संयुक्त निदेशक के निर्देशों के बाद सहायक जिला सरकारी अधिवक्ता (आपराधिक) द्वारा यह आवेदन दायर किया गया था।

मोहम्मद अखलाक की सितंबर 2015 में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। ग्रेटर नोएडा के जारचा पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिसहदा गांव स्थित उनके आवास पर भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था। यह हमला इस अफवाह के बाद किया गया था कि वहां गोमांस का भंडारण किया जाता है।

इस घटना की चर्चा देशभर में हुई थी। इस घटना की जमकर आलोचना हुई थी। पुलिस ने जांच के बाद कुल 19 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था। सभी पर हत्या, दंगा भड़काने और जान से मारने की धमकी देने जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।

भाषा

सं, रवि कांत रवि कांत