Uttarakhand High Court Order: अब ये संस्थाएं नहीं कर पाएंगी ‘मदरसा’ शब्द का इस्तेमाल.. हाईकोर्ट ने दिया बड़ा निर्देश, देना होगा हलफनामा..
Uttarakhand High Court Order || Image- Live Law file
- बिना मान्यता वाले संस्थान नहीं कर सकेंगे ‘मदरसा’ शब्द का उपयोग
- डि-सीलिंग के लिए SDM को हलफनामा देना होगा
- सिर्फ पंजीकृत मदरसों को मिलेगा ‘मदरसा’ शब्द का अधिकार
Uttarakhand High Court Order: देहरादून: उत्तराखंड उच्च-न्यायालय ने उन मकतबों को बड़ी राहत प्रदान की है। इन मकतबों को बिना कानूनी आदेश के सील कर दिया गया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने सख्त निर्देश दिया कि वे अपने संस्थान के नाम में मदरसा शब्द का प्रयोग नहीं करेंगे।
SDM को देना होगा हलफनामा
लाइव लॉ में प्रकाशित खबरों के मुताबिक़ जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे संस्थानों को अपनी इमारतों को डि-सील करवाने के लिए संबंधित उप-जिलाधिकारी (SDM) के समक्ष हलफनामा देना होगा कि वे न तो मदरसा चलाएंगे और न ही अपने संस्थानों के नाम में मदरसा शब्द का प्रयोग करेंगे।
बताया कौन कर सकता है ‘मदरसा’ शब्द का इस्तेमाल
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि केवल वही संस्थान उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड से रजिस्टर एवं मान्यता प्राप्त होने पर ‘मदरसा’ शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। हाल ही में कई मकतब स्वयं को मदरसा बताकर धार्मिक शिक्षा तो दे रहे हैं लेकिन स्टूडेंट को रोजगार या सरकारी/कॉरपोरेट क्षेत्र में अवसर प्रदान करने योग्य शिक्षा नहीं दे रहे। इससे वंचित तबके के स्टूडेंट और अभिभावक गुमराह हो रहे हैं।
अदालत ने स्पष्ट किया कि मकतब वे संस्थान हैं, जहां केवल धार्मिक शिक्षा (क़ुरान पाठ, व्याकरण और नैतिकता) दी जाती है, जबकि मदरसा वे संस्थान हैं जो धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ स्टूडेंट्स को विभिन्न परीक्षाओं (तहतानिया, फौक़ानिया, मौलवी आदि) के लिए तैयार करते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को आश्वासन दिया कि वे पंजीकरण होने तक न तो मदरसा चलाएंगे और न ही नाम में इसका उपयोग करेंगे। अदालत ने कहा कि यदि भविष्य में यह पाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से मदरसा शब्द का प्रयोग किया तो प्रशासन उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा।

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