Viral Acharya Disclosure About Modi Sarkar
नई दिल्ली: मोदी सरकार अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को लेकर अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहती है। भाजपा पर चुनावों के दौरान गड़बड़ी किये जाने के आरोप भी कांग्रेस की तरफ से लगती रही है। (Viral Acharya Disclosure About Modi Sarkar) भाजपा की सरकार पर जो सबसे बड़े आरोप लगते रहे है वह है संवैधानिक संस्थाओ पर कब्जे की। कांग्रेस के साथ ही कई विपक्षी दल दावा करते है कि बीजेपी और आरएसएस न सिर्फ देश के संवैधानिक संस्थाओ का भगवाकरण कर रहे है बल्कि अपने दबाव में उनसे कई ऐसे काम कराये जा रहे है जो उचित नहीं है।
वही इन सबके बीच कभी आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रहे विरल आचार्य के एक खुलासे से फिर से राजनीतिक घमासान छिड़ने की आशंका है। दरअसल आचार्य ने दावा किया है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से 2-3 लाख करोड़ रुपये मांगे थे। हालांकि, RBI ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद दोनों के बीच मतभेद पैदा हो गए।
आचार्य ने 2020 में प्रकाशित हुई अपनी पुस्तक ‘क्वेस्ट फॉर रिस्टोरिंग फाइनेंशियल स्टेबिलिटी’ की नई प्रस्तावना में इस बात का खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि RBI ने लोकसभा चुनाव से पहले 2018 में बैलेंस शीट से 2-3 लाख करोड़ रुपये निकालने के सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। आचार्य के मुताबिक, नौकरशाही और सरकार में बैठे कुछ लोगों ने RBI द्वारा जमा की गई बड़ी रकम को सरकार के खाते में ट्रांसफर करने की योजना बनाई थी। अखबार मिंट के मुताबिक, आचार्य ने कहा कि हर साल आरबीआई अपने लाभ का एक हिस्सा सरकार को वितरित करने के बजाय अलग रख देता है। उन्होंने कहा, “नोटबंदी के पहले के 3 सालों में आरबीआई ने सरकार को रिकॉर्ड राशि ट्रांसफर की। हालांकि, नोटबंदी की वजह से नई मुद्रा छापने में आरबीआई का खर्च बढ़ा। इस वजह से सरकार को कम पैसा ट्रांसफर किया गया, जिसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की मांग ‘तेज’ हो गई।