अवैध कारोबार के खिलाफ ‘वोकल फॉर लोकल’ होगा अत्यंत प्रबल औजार : हर्षवर्धन

अवैध कारोबार के खिलाफ ‘वोकल फॉर लोकल’ होगा अत्यंत प्रबल औजार : हर्षवर्धन

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  • Publish Date - January 21, 2021 / 12:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:46 PM IST

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) जाली सामान बनाने वालों के निशाने पर स्वास्थ्य उत्पाद होने की बात की ओर ध्यान दिलाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ अवैध व्यापार के खिलाफ भारत की लड़ाई में अत्यंत प्रबल औजार साबित होगा।

हर्षवर्धन ने ‘व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर जालसाजी और तस्करी के प्रभाव’ विषय पर फिक्की कास्केड के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कारोबार और उद्योगों को एक साथ आना चाहिए तथा ग्राहकों को सुरक्षित रखने के अंतिम उद्देश्य को ध्यान में रखकर इस बढ़ते खतरे से लड़ाई में एक व्यापक ताकत बनने में सरकार के साथ भाीदारी करनी चाहिए।

हर्षवर्धन ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लाभों के बारे में कहा कि भारत के मजबूत घरेलू ब्रांड के उत्पादन की शुरुआत करने और धीरे-धीरे विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करने से तस्करों और जाली सामान बनाने वालों को मिलने वाला लाभ सीमित हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘वोकल फॉर लोकल अवैध व्यापार के खिलाफ हमारी लड़ाई में अत्यंत प्रबंल औजार होगा।’’

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘अवैध ऑपरेटर आवश्यक और गैर आवश्यक वस्तुओं का ऑनलाइन तथा ऑफलाइन अवैध विकल्प उपलब्ध कराकर महामारी का फायदा उठा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि मौजूदा महामारी के दौरान यह दिखा है कि स्वास्थ्य उत्पाद नकली सामान बनाने वालों के आम तौर पर निशाने पर रहने वाले उत्पादों में से एक बने रहेंगे।

मंत्री ने कहा कि यह समस्या है जिसका पूरे विश्व में रोगियों तथा उपभोक्ताओं पर असर पड़ता है।

हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न अफरातफरी के बीच अवैध कारोबार करने वालों ने अपनी नापाक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए महामारी का इस्तेमाल किया है जिससे देश की अर्थव्यवस्था और पूरे विश्व में लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को बड़ा नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा के लिए बारकोड, होलोग्राम, रेडियो फ्रीक्वेंसी उपकरण जैसी विभिन्न प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘ये प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण सुरक्षा उपलब्ध कराती हैं, लेकिन इनकी कुछ सीमाएं हैं।’’

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव