वायनाड भूस्खलन: अदालत ने पुनर्वास के लिए सरकार को संपत्तियां अपने कब्जे में लेने का रास्ता साफ किया

वायनाड भूस्खलन: अदालत ने पुनर्वास के लिए सरकार को संपत्तियां अपने कब्जे में लेने का रास्ता साफ किया

वायनाड भूस्खलन: अदालत ने पुनर्वास के लिए सरकार को संपत्तियां अपने कब्जे में लेने का रास्ता साफ किया
Modified Date: December 27, 2024 / 10:18 pm IST
Published Date: December 27, 2024 10:18 pm IST

कोच्चि, 27 दिसंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि राज्य सरकार 30 जुलाई को वायनाड में हुए भूस्खलन से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए एक मॉडल टाउनशिप स्थापित करने हेतु हैरिसन्स मलयालम लिमिटेड और एलस्टन टी एस्टेट लिमिटेड से जमीन अपने कब्जे में ले सकती है।

न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ ने एस्टेट कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। कंपनियों ने अपनी याचिका में सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें पहाड़ी जिले के व्याथिरी में हैरिसन्स मलयालम लिमिटेड की नेदुम्बाला एस्टेट से 65.41 एकड़ और कलपेट्टा के पास पुलपारा में एल्स्टन एस्टेट से 78.73 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने का निर्णय लिया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधान के तहत भूमि अधिग्रहण करना उनके संपत्ति के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।

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उन्होंने दलील दी कि सरकार को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुआवजा दिए बिना निजी इकाई से जमीन लेने का अधिकार नहीं है।

हालांकि, राज्य सरकार ने दलील दी कि भूस्खलन के परिणामस्वरूप बेघर हुए लगभग 1,210 परिवार अस्थायी रूप से किराए के परिसर में रह रहे हैं, और इस प्रकार, आपदा प्रबंधन उपायों के तहत उन्हें स्थायी रूप से पुनर्वासित करना बहुत जरूरी और आसन्न आवश्यकता है।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने या अधिग्रहीत करने के लिए याचिकाकर्ताओं को दिए जाने वाले मुआवजे की कुल राशि निर्धारित करेगी।

भाषा शफीक अविनाश

अविनाश


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