हमें आरएसएस, एसडीपीआई के वोट नहीं चाहिए: माकपा

हमें आरएसएस, एसडीपीआई के वोट नहीं चाहिए: माकपा

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  • Publish Date - May 24, 2022 / 10:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

कोच्चि, 24 मई (भाषा) केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने त्रिक्काकारा विधानसभा उपचुनाव से कुछ दिन पहले मंगलवार को कहा कि उसे आरएसएस और एसडीपीआई का समर्थन या वोट नहीं चाहिए है और कांग्रेस पार्टी को भी ऐसा करने की चुनौती दी।

माकपा के प्रदेश सचिव के. बालकृष्णन ने वाम मोर्चा के त्रिक्काकारा उपचुनाव जीतने का विश्वास जताते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने देश भर में सांप्रदायिक ताकतों के साथ हाथ मिलाया है और उसके नेता भाजपा की ओर पलायन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के साथ एक ‘अपवित्र गठजोड़’ किया है और यह यूडीएफ उम्मीदवार के भाजपा कार्यालय में वोट मांगने के लिए दौरे किये जाने से स्पष्ट है।

बालकृष्णन ने कह, ‘‘हम पहले ही घोषित कर चुके हैं कि हमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआई) का समर्थन या वोट नहीं चाहिए। इसकी घोषणा ईएमएस द्वारा 1979 में थलास्सेरी उपचुनाव में कर दी गई थी। हम उसके साथ खड़े हैं। लेकिन क्या सतीसन खुले तौर पर घोषणा कर पाएंगे कि उन्हें आरएसएस और एसडीपीआई के वोट नहीं चाहिए।’’

बालकृष्णन का यह बयान तब आया जब कांग्रेस पार्टी के इस आरोप के बारे में पूछा गया कि राज्य में सांप्रदायिक ताकतों को ‘खुली छूट’ दी गई है। अलाप्पुझा में पीएफआई की एक रैली के दौरान एक नाबालिग लड़के द्वारा भड़काऊ नारे लगाने के मुद्दे पर वाम सरकार पर हमला करते हुए, विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने कहा था कि सरकार ने ‘‘निराशाजनक रुख’’ अपनाया है।

सतीसन ने पहले आरोप लगाया था कि वामपंथी दल के किसी नेता ने भी अलाप्पुझा में पीएफआई के भड़काऊ नारों की आलोचना नहीं की है।

सतीसन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस तरह के सांप्रदायिक कृत्यों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से कड़ी कार्रवाई की कमी के कारण ऐसी और घटनाएं हो रही हैं। कांग्रेस कभी भी सांप्रदायिक ताकतों से हाथ नहीं मिलाएगी।’’

बालाकृष्णन ने कांग्रेस उम्मीदवार उमा थॉमस की भाजपा कार्यालय जाने की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि दोनों पार्टियों ने हाथ मिला लिया है।

सत्तारूढ़ माकपा की युवा शाखा डीवाईएफआई ने आरोप लगाया कि नारेबाजी धर्मनिरपेक्ष केरल को विभाजित करने के सांप्रदायिक एजेंडे का हिस्सा थी।

पीएफआई ने एक आंतरिक नोट में कहा है कि इस तरह के नारे संगठन की नीति के खिलाफ हैं और संगठन इस मामले को देखेगा।

इस संबंध में दर्ज एक मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि दूसरे को हिरासत में लिया गया है।

भाषा अमित नरेश

नरेश