पश्चिम बंगाल सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश सामंत को लोकायुक्त नियुक्त करने की सिफारिश की

पश्चिम बंगाल सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश सामंत को लोकायुक्त नियुक्त करने की सिफारिश की

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  • Publish Date - December 1, 2025 / 08:38 PM IST,
    Updated On - December 1, 2025 / 08:38 PM IST

कोलकाता, एक दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश रवींद्रनाथ सामंत को राज्य का नया लोकायुक्त नियुक्त करने की सोमवार को सिफारिश की।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक से नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी अनुपस्थित रहे।

न्यायमूर्ति सामंत जून 2023 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वह न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशीम कुमार रॉय का स्थान लेंगे, जिन्होंने नवंबर 2018 से लोकायुक्त के रूप में कार्य किया और 2023 में दिए गए दो साल के विस्तार के बाद अगस्त, 2025 तक इस पद पर रहे।

वर्तमान में, सामंत पश्चिम बंगाल रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।

नए लोकायुक्त के नाम की सिफारिश मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति ने की है। उनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी, जिसके बाद वह शपथ लेंगे।

नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने लगातार चौथे वर्ष बैठक का बहिष्कार किया। परंपरा के अनुसार, हर साल औपचारिक निमंत्रण मिलने के बावजूद अधिकारी ने खुद को इससे दूर रखा और मुख्यमंत्री के साथ बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया।

उन्होंने शुक्रवार को कहा था, ‘मैं बैठक में भाग नहीं लूंगा। मैं मुख्यमंत्री के साथ बैठक में हिस्सा नहीं लूंगा, जो एक भ्रष्ट सरकार का नेतृत्व कर रही हैं।’

उन्होंने कहा कि मालदा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद खगेन मुर्मू पर हाल में हुए हमले ने राज्य सरकार के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव ‘नैतिक रूप से असंभव’ बना दिया है।

उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी को ‘नैतिक रूप से दिवालिया’ करार देते हुए कहा, ‘मुर्मू को खून से लथपथ देखने के बाद, कोई भी समझदार व्यक्ति उन लोगों के बगल में नहीं बैठ सकता, जिनके हाथ भाजपा कार्यकर्ताओं के खून से सने हैं।’

सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस ने बैठक के बहिष्कार को एक सोची-समझी राजनीतिक चाल करार दिया। तृणमूल के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, ‘वे भ्रष्टाचार से लड़ने की बात तो करते हैं, लेकिन लोकायुक्त की नियुक्ति पर होने वाली बैठकों में शामिल नहीं होते। यह भाजपा का दोहरा मापदंड दिखाता है।’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप